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Pitru Paksha 2025 Diet: पितृ पक्ष में नहीं खाना चाहिए मांसाहारी भोजन, जानिये क्यों?

सबसे महत्वपूर्ण आहार प्रतिबंधों में से एक मांसाहारी भोजन से परहेज है। इस दौरान मांस, मछली, अंडे और यहाँ तक कि शराब का सेवन भी सख्त वर्जित है।
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Pitru Paksha 2025 Diet

Pitru Paksha 2025 Diet: पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में यह पवित्र पखवाड़ा, पितरों के लिए कर्मकांड और भोजन अर्पित करने के लिए समर्पित है, जिसे श्राद्ध (Pitru Paksha 2025 Diet) कहा जाता है। इन दिनों में, परिवार पवित्रता और सादगी के विशिष्ट नियमों का पालन करते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण आहार प्रतिबंधों में से एक मांसाहारी भोजन से परहेज है। इस दौरान मांस, मछली, अंडे और यहाँ तक कि शराब का सेवन भी सख्त वर्जित है। लेकिन ऐसा क्यों है? आइए इस महत्वपूर्ण प्रथा के पीछे के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कारणों (Pitru Paksha 2025 Diet) को समझते हैं।

Pitru Paksha 2025 Diet: पितृ पक्ष में नहीं खाना चाहिए मांसाहारी भोजन, जानिये क्यों?

आध्यात्मिक शुद्धता और सात्विक भोजन

पितृ पक्ष के अनुष्ठान दिवंगत आत्माओं के आशीर्वाद और शांति की प्राप्ति के उद्देश्य से किए जाते हैं। इसके लिए, लोगों को केवल सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है - शुद्ध, शाकाहारी भोजन जो हल्का, स्वच्छ और आध्यात्मिक रूप से उत्थानकारी हो। मांसाहारी भोजन तामसिक और राजसिक भोजन की श्रेणी में आता है, जो मन को विचलित कर सकता है और आध्यात्मिक स्पंदनों को कम कर सकता है। चूँकि पितृ पक्ष भक्ति और पवित्रता का काल है, इसलिए सात्विक भोजन को पवित्रता बनाए रखने के लिए आदर्श आहार माना जाता है।

अनुष्ठानों के दौरान पूर्वजों का सम्मान

ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान, पूर्वजों की आत्माएँ अपने वंशजों द्वारा अर्पित किए गए तर्पण को ग्रहण करने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। उनके स्वागत के लिए, खिचड़ी, खीर, चावल, दाल और मौसमी फल जैसे भोजन अत्यंत पवित्रता और विनम्रता के साथ तैयार किए जाते हैं। इस पवित्र समय के दौरान मांसाहारी भोजन अर्पित करना या उसका सेवन करना पितरों का अनादर माना जाता है। यही कारण है कि परिवार पूरे पखवाड़े के दौरान अपने रसोईघरों में मांस और अंडे का प्रयोग नहीं करते हैं।

Pitru Paksha 2025 Diet: पितृ पक्ष में नहीं खाना चाहिए मांसाहारी भोजन, जानिये क्यों?

ऊर्जा संतुलन और नकारात्मक कर्मों से बचना

हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि पितृ पक्ष के दौरान मांसाहारी भोजन का सेवन नकारात्मक कंपन और कर्म असंतुलन पैदा कर सकता है। चूँकि श्राद्ध कर्म पितरों को शांति प्रदान करने के लिए होते हैं, इसलिए मांसाहार—जिसमें हिंसा शामिल है—पितृ पक्ष के मूल तत्व के विपरीत है। मांसाहारी भोजन से परहेज करके, भक्त न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं, बल्कि करुणा का भी अभ्यास करते हैं, जो हिंदू दर्शन का एक केंद्रीय पहलू है।

स्वास्थ्य और जीवनशैली लाभ

आध्यात्मिक कारणों के अलावा, स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी हैं। पितृ पक्ष आमतौर पर मानसून से शरद ऋतु में संक्रमण के दौरान पड़ता है, जब पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। भारी और तैलीय मांसाहारी भोजन खाने से पाचन संबंधी समस्याएं, एसिडिटी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी ओर, हल्का शाकाहारी भोजन शरीर को स्वस्थ रखता है और आंतरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जो धार्मिक अनुष्ठान का पूरक है।

Pitru Paksha 2025 Diet: पितृ पक्ष में नहीं खाना चाहिए मांसाहारी भोजन, जानिये क्यों?

निष्कर्ष

पितृ पक्ष पूर्वजों के स्मरण, कृतज्ञता और उनके साथ आध्यात्मिक जुड़ाव का समय है। मांसाहारी भोजन से परहेज़ करके, भक्त पवित्रता और भक्ति का वातावरण बनाते हैं। यह आहार अनुशासन सुनिश्चित करता है कि श्राद्ध कर्म के दौरान अर्पित किए गए प्रसाद को पूर्वजों की कृपा और आशीर्वाद के साथ स्वीकार किया जाए। इस प्रकार, पितृ पक्ष के दौरान मांसाहार का त्याग केवल एक परंपरा ही नहीं, बल्कि सम्मान, पवित्रता और आध्यात्मिक सद्भाव पर आधारित एक सार्थक अभ्यास है।

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