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Vivah Muhurat 2025: इस दिन से बंद हो जाएंगे शादी-विवाह, पुरे पांच महीने नहीं है मुहूर्त

जुलाई से अक्टूबर या कभी कभी नवंबर तक कुछ अवधियां आमतौर पर चातुर्मास और ग्रहों की स्थिति जैसे कारकों के कारण विवाह के लिए अशुभ मानी जाती हैं।
11:13 AM May 21, 2025 IST | Preeti Mishra
जुलाई से अक्टूबर या कभी कभी नवंबर तक कुछ अवधियां आमतौर पर चातुर्मास और ग्रहों की स्थिति जैसे कारकों के कारण विवाह के लिए अशुभ मानी जाती हैं।

Vivah Muhurat 2025: हिन्दू धर्म में कोई भी कार्य मुहूर्त देख कर ही किया जाता है। शादी-विवाह के मामलों में तो मुहूर्त का और भी ज्यादा महत्व हो जाता है। 2025 में यदि आप विवाह के बंधन में बंधने की योजना बना रहे तो जून तक ही आपके लिए शुभ मुहूर्त तिथियां (Vivah Muhurat 2025) उपलब्ध हैं। ये तिथियां अनुकूल ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों के आधार पर निर्धारित की जाती हैं, जिससे एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध विवाहित जीवन सुनिश्चित होता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जुलाई से अक्टूबर या कभी कभी नवंबर तक कुछ अवधियां आमतौर पर चातुर्मास और ग्रहों की स्थिति जैसे कारकों के कारण विवाह के लिए अशुभ (Vivah Muhurat 2025) मानी जाती हैं। सबसे सटीक और व्यक्तिगत चयन के लिए, किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

कब-कब है विवाह का मुहूर्त?

पंचांग के अनुसार, फ़िलहाल मई और जून के महीने में विवाह के लिए कुछ ही तिथियां उपलब्ध हैं। जून में अंतिम विवाह मुहूर्त 8 जून को है। 12 जून से 9 जुलाई तक गुरु ग्रह अस्त हो जाएंगे, जिसके कारण गुरु के उदय होने तक किसी भी तरह का विवाह मुहूर्त नहीं होगा। 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा, जो 1 नवंबर तक चलेगा। चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। इसलिए 8 जून से लेकर 15 नवंबर के बीच शादी-विवाह आयोजित नहीं होंगे।

मई और जून के विवाह मुहूर्त की लिस्ट

मई महीने में 20, 22, 23, 24, 27 और 28 मई को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है।
जून महीने में 1, 2, 4 , 5, 7 व 8 जून को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है।

चातुर्मास में नहीं होता है शादी-विवाह

हिंदू धर्म में चार महीने का पवित्र काल चातुर्मास, धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के कारण विवाह समारोहों के लिए अशुभ माना जाता है। यह आमतौर पर आषाढ़ महीने की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक महीने की प्रबोधिनी एकादशी तक होता है, जिसके दौरान भगवान विष्णु चिर निद्रा में लीन हो जाते हैं।

चूंकि भगवान विष्णु - ब्रह्मांड के संरक्षक और सभी शुभ समारोहों के दिव्य साक्षी - आध्यात्मिक रूप से निष्क्रिय होते हैं, इसलिए विवाह और अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्थगित कर दिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यह समय तपस्या, उपवास और आध्यात्मिक अभ्यासों के लिए समर्पित है, जो इसे विवाह जैसे सांसारिक समारोहों के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

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