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Nirajala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी व्रत आज, जानें पारण का समय

निर्जला एकादशी महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक है, जो ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
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Nirajala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण और कठोर एकादशियों में से एक है, जो ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह एकादशी (Nirajala Ekadashi 2025) आज, शुक्रवार, 6 जून को मनाई जाएगी। माना जाता है कि यह एक साल में मनाई जाने वाली सभी 24 एकादशियों का संयुक्त पुण्य प्रदान करता है।

क्यों कहा जाता है इस एकादशी को निर्जला?

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल न ग्रहण करने के कारण इस एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirajala Ekadashi 2025) कहते हैं। वर्ष की चौबीस एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सर्वोत्तम मानी गयी है। इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति सहज ही प्राप्त हो जाती है।

Nirajala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी व्रत आज, जानें पारण का समय

व्रतियों को क्या करना चाहिए इस दिन?

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि ज्येष्ठ माह के दिन बड़े होते है, दूसरे गर्मी की अधिकता के कारण बार-बार प्यास लगती है। चूंकि इस दिन जल नहीं ग्रहण किया जाता है, इसलिए यह व्रत अत्यधिक श्रम-साध्य होने के साथ-साथ कष्ट एवं संयम-साध्य भी है। जल के निषिद्ध होने पर भी इस व्रत में फलाहार के पश्चात दूध पीने का विधान है। इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए की वह जल से कलश को भरे। उस पर सफ़ेद वस्त्र से ढक्कन रखें। उसके ऊपर चीनी तथा यथा सम्भव दक्षिणा रखकर ब्राह्मणों को संकल्प कर दान दें।

Nirajala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी व्रत आज, जानें पारण का समय

                                                 ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय

इस दिन करना चाहिए दान

इस एकादशी का व्रत करके यथा संभव अन्न, छतरी, पंखा, और फल आदि का दान करना चाहिए। इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशायी रूप में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन विधि पूर्वक जल कलश का दान करने वालों को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार के दान-भाव में "सर्वभूत हिते रताः" की भावना चरितार्थ होती है।

पांडव पुत्र भीम ने किया था इस व्रत को

पांडव पुत्र भीम ने भी इस व्रत को किया था। इसी व्रत को करके पांडव पुत्र भीम ने दस हजार हाथियों का बल प्राप्त कर दुर्योधन के ऊपर विजय प्राप्त की थी। यह व्रत बालक, वृद्ध और रोगी को नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन यदि जल के बिना अगर प्राण संकट में हो जाये तो "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का 12 बार जप करके थाली में जल रखकर घुटने और भुजा को जमीन पर लगाकर पशुवत जल पी लेना चाहिए। इससे व्रत भंग नहीं होता है।।

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कब होगा पारण?

निरजला एकादशी व्रत करने के बाद पारण कब करना चाहिए इसका बड़ा महत्व है। मन, वचन व कर्म की पवित्रता रखते हुए इस व्रत को करते हुए दूसरे दिन द्वादशी तिथि में भगवान विष्णु का पूजन करने के पश्चात् पारण करना चाहिए। इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को इसके अगले दिन शनिवार को सूर्योदय के पश्चात् और सुबह 10:00 बजे के बीच पारण कर लेना चाहिए।

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