Narak Chaturdashi 2025: कब है नरक चतुर्दशी? जानें इस दिन होने वाले अभ्यंग स्नान का महत्व
Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस वर्ष यह 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार (Narak Chaturdashi 2025) भगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर विजय का प्रतीक है, जो अंधकार और बुराई पर प्रकाश और सदाचार की विजय का प्रतीक है।
इस दिन, लोग सूर्योदय से पहले पवित्र स्नान करते हैं, दीये जलाते हैं और नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस अनुष्ठान में घरों को सजाना, पटाखे फोड़ना और मिठाइयाँ बनाना भी शामिल है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2025) खुशी और सकारात्मकता फैलाती है और उत्साह और भक्ति के साथ दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।
कब है इस वर्ष नरक चतुर्दशी?
पांच दिवसीय दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी से आरम्भ होकर, भैया दूज के दिन तक चलता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ 19 अक्टूबर को दोपहर 01:51 बजे होगा और इसका समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 03:44 बजे होगा। ऐसे में नरक चतुर्दशी सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का मुहूर्त
दीवाली के समय तीन दिन, अर्थात चतुर्दशी, अमावस्या तथा प्रतिपदा के दिन अभ्यंग स्नान का सुझाव दिया गया है। चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अभ्यंग स्नान करने वाले लोग नरक जाने से बच सकते हैं। अभ्यंग स्नान के समय उबटन के लिये तिल के तेल का उपयोग करना चाहिये। नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान मुहूर्त सुबह 04:56 बजे से 06:08 बजे तक है।
अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान, लक्ष्मी पूजा दिवस से एक दिन पूर्व अथवा उसी दिन हो सकता है। जिस समय चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पूर्व प्रबल होती है तथा अमावस्या तिथि सूर्यास्त के पश्चात प्रबल होती है, तो नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन पड़ती है। अभ्यंग स्नान हमेशा चन्द्रोदय के समय, किन्तु सूर्योदय से पूर्व चतुर्दशी तिथि के समय किया जाता है।
अधिकांशतः नरक चतुर्दशी को काली चौदस के समान ही मान लिया जाता है। हालाँकि, दोनों एक ही तिथि पर मनाये जाने वाले दो भिन्न-भिन्न त्यौहार हैं तथा चतुर्दशी तिथि के आरम्भ एवं समाप्ति समय के आधार पर यह तिथि क्रमशः दो भिन्न-भिन्न दिनों पर पड़ सकती है।
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