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Nahay Khay 2025: आज नहाय खाय से शुरू हो गया महापर्व छठ, जानें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय

लोक आस्था का महापर्व छठ आज नहाय खाय से शुरू हो गया। छठ पर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक चलेगा।
01:32 PM Oct 25, 2025 IST | Preeti Mishra
लोक आस्था का महापर्व छठ आज नहाय खाय से शुरू हो गया। छठ पर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक चलेगा।

Nahay Khay 2025: लोक आस्था का महापर्व छठ आज नहाय खाय से शुरू हो गया। छठ पर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक चलेगा। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व मंगलवार, 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य (Nahay Khay 2025) देने के साथ समाप्त होगा।

आज से शुरू हो गया छठ महापर्व

लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां धन-धान्य, पति -पुत्र व सुख-समृद्धि से परिपूर्ण व संतुष्ट रहती हैं। यह सूर्य षष्ठी व्रत चार दिनों का होता है। इस बार 25 अक्टूबर शनिवार (चतुर्थी) को नहाय खाय (Nahay Khay 2025) से व्रत प्रारम्भ हो गया। इस दिन स्नान के बाद घर की साफ-सफाई करने के पश्चात सात्विक भोजन किया जाता है।

कल है खरना

कल, 26 अक्टूबर, रविवार (पंचमी) को खरना है। छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती रात में रोटी-खीर खाकर फिर 36 घण्टे का कठिन निर्जला व्रत शुरू करते हैं। खरना के दिन सूर्य षष्ठी पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य के बाद होता है पारण

छठ व्रत के तीसरे दिन 27 अक्टूबर, सोमवार को सायं काल अस्त होते हुए सूर्य को सूर्यार्घ पूजन के बाद अर्घ दिया जायेगा। यह व्रत महिलाएं 36 घण्टे तक करती है। मंगलवार को प्रातः उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात पारण किया जाता है। इस व्रत को करने से समस्त कष्ट दूर होकर घर में सुख शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है।

                                                        ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

छठ व्रत करने से होते हैं कई रोग दूर

बताते है कि छठ व्रत करने से विशेषकर चर्म रोग व नेत्र रोग से मुक्ति मिल सकती है। इस व्रत को निष्ठा पूर्वक करने से पूजा व अर्घ दान देते समय सूर्य की किरण अवश्य देखना चाहिए। प्राचीन समय में बिन्दुसर तीर्थ में महिपाल नामक एक वणिक रहता था। वह धर्म-कर्म तथा देवताओं का विरोध करता था। एक बार सूर्य नारायण के प्रतिमा के सामने उसने मल-मूत्र का त्याग किया। जिसके फल स्वरूप उसकी दोनों आखें नष्ट हो गई ।

एक दिन यह वणिक जीवन से उब कर गंगा जी में कूद कर प्राण देने का निश्चय कर चल पड़ा। रास्ते में उसे ऋषि राज नारद जी मिले और पूछे -कहिये सेठ जी कहा जल्दी जल्दी भागे जा रहे हो? अन्धा सेठ रो पड़ा और बोला सांसारिक सुख-दुःख से प्रताड़ित हो प्राण- त्याग करने जा रहा हूँ। मुनि नारद जी बोले- हे अज्ञानी तू प्राण-त्याग कर मत मर भगवान सूर्य के क्रोध से तुम्हें यह दुख भुगतना पड़ रहा है। तू कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी का व्रत रख तेरा कष्ट समाप्त हो जायेगा। वणिक ने समय आने पर यह व्रत निष्ठा पूर्वक किया जिसके फल स्वरूप उसके समस्त कष्ट मिट गए व सुख-समृद्धि प्राप्त करके पूर्ण दिव्य ज्योति वाला हो गया। इस व्रत को करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

जानें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय

महापर्व छठ दुनिया का एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमे डूबते और उगते, दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इस वर्ष डूबता सूर्य को अर्घ्य 27 अक्टूबर, सोमवार को 05:35 बजे के बाद दिया जाएगा। वहीं इस वर्ष उगते सूर्य को अर्घ्य 28 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह 06:25 बजे के बाद दिया जाएगा।

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