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Mauni Amavasya 2024:कब है मौनी अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Mauni Amavasya 2024: सनातन धर्म में मौनी अमावस्या ( Mauni Amavasya 2024) का खास महत्व माना गया हैं। ​मौनी अमावस्या का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना...
05:27 PM Jan 16, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Mauni Amavasya 2024: सनातन धर्म में मौनी अमावस्या ( Mauni Amavasya 2024) का खास महत्व माना गया हैं। ​मौनी अमावस्या का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करके विष्णु भगवान की पूजा करना सौ यज्ञ करने के बराबर होता है। इस दिन विष्णु भक्त और श्रद्धालु कृष्णा, कावेरी, सरस्वती, गंगा, गोदावरी, और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते है। आइए जानते है कब है मौनी अमवास्या और क्या है इसका महत्व :—

मौनी अमावस्या तिथि:-

हिंदू पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मनाया जाता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या की शुरूआत 09 फरवरी को सुबह 08 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 10 जनवरी को सूर्योदय से पूर्व 04 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस साल 9 फरवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है जो सुबह 7 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर देर रात 11 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा। इस शुभ मुहूर्त में किया गया हर कार्य शुभ और फलदायी माना जाता है

मौनी अमावस्या का महत्व:-

हिंदू धर्म के अनुसार सभी अमावस्या​ ​में मौनी अमावस्या को सबसे उत्तम माना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन चुप रहना अर्थात मौन रहना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन प्रात: किसी पवित्र नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। वहीं जो लोग नदी में स्नान नहीं कर सकते वह लोग अपने घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते है। स्नान के बाद विष्णु देव की पूजा और दान करना भी अच्छा माना जाता है। इस दिन तिल,तिल के लड्डू, तिल का तेल और वस्त्र दान कर सकते है। इसके अलावा इस दिन पितरों के नाम पर अर्घ्य और तर्पण करना भी बेहद शुभ माना जाता हैं।

पूजा विधि:-

मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करे। अगर संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में जरूर स्नान करें। फिर बहती जलधारा में काला तिल प्रवाहित करे और सूर्य भगवान को अर्घ्य दें। इसके बाद मन में अपने पितरों का ध्यान करे और दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों के नाम से अर्घ्य दें। इसके बाद विधिवत रूप से विष्णु भगवान की पूजा करे। पूजा में अक्षत, रोली, मौली, जल, फूल, फल, प्रसाद, कुमकुम आदि चीजों को शामिल करे और विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। इस दिन बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन मौन व्रत धारण करे। पूजा के अंत में आरती कर भगवान से सुख समृद्धि की कामना करे और पूजा पाठ व दान करने के बाद ही मौन व्रत खोलें।

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