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Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या के दिन इस शुभ योग में करें स्नान और दान, मिलेगा कई गुना लाभ

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Mauni Amavasya 2024: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या  (Mauni Amavasya 2024) के नाम से जाना जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति...
01:24 PM Feb 08, 2024 IST | Juhi Jha
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Mauni Amavasya 2024: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या  (Mauni Amavasya 2024) के नाम से जाना जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति...

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Mauni Amavasya 2024: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या  (Mauni Amavasya 2024) के नाम से जाना जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। वहीं इस साल माघ मास में मौनी अमावस्या कल यानी 9 फरवरी को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हेाती है और उनका आशीर्वाद जातक पर हमेशा के लिए बना रहता है। इस बार मौनी अमावस्या के दिन कई शुभ योग बनने जा रहे है। ऐसे में इस दिन स्नान और दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ योग में स्नान और दान करने से व्यक्ति को कई गुना अधिक लाभ मिलता है। तो आइए जानते है मौनी अमावस्या के दिन कौनसे शुभ योग बन रहे हैं।

मौनी अमावस्या के दिन बन रहे है शुभ योग:- 

 

 

वैसे तो मौनी अमावस्या का पूरा दिन ही स्नान और दान करने के लिए शुभ माना गया है। लेकिन शुभ योग में स्नान—दान करने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। कहते है कि इस योग में किए गए कार्यो से व्यक्ति को अपार सफलता प्राप्त होती है और कई गुना लाभ प्राप्त होता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 5 मिनट से देर रात 11 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

क्यों है इस अमावस्या का महत्व:-

 

 

शास्त्रों में मौनी अमावस्या का खास महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा जैसे पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। अगर आप किसी तीर्थ स्थल नहीं जा सकते तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते है। पितरों के तर्पण के लिए स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हुए पितृ का तर्पण करे। इसके बाद किसी गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मण को भोजन कराए और अपनी क्षमता और श्रद्धानुसार उसे दान दे। गरूड़ पुराण में भी कहा गया है कि अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते है और वंशजों से मिलते है। इस दिन मौन व्रत,स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते है और उनका आशीर्वाद हमेशा व्यक्ति पर बना रहता है।

पूजा विधि:-

 

 

मौनी अमावस्या के दिन प्रात:व्रत करने का संकल्प करे ओर फिर किसी भी पवित्र नदी,कुंड या फिर घर में ही गंगाजल से स्नान करे। स्नान के बाद सूर्यदेव को जल से भरे लौटे में काला तिल डालकर अर्घ्य दें। इसके बाद पीले फूल,चंदन,घी के दीपक,केसर और प्रसाद के लिए मिठाई से भगवान विष्णु का पूजन करें। इसके बाद श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने के बाद आरती कर पूजा सम्पन्न करें।

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