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Maihar Mata Mandir: 52 अंगों में से मैहर में गिरा था मां सती का हार, जानें इस अलौलिक मंदिर की कहानी

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Maihar Mata Mandir: शास्त्रों में कहा जाता है कि मां हमेशा ऊंचे स्थानों (Maihar Mata Mandir) पर ही निवास करती है। जिस तरह भक्त मां के दर्शन के लिए पहाड़ों को पार कर वैष्णों देवी तक पहुंचते...
07:39 PM Feb 12, 2024 IST | Juhi Jha
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Maihar Mata Mandir: शास्त्रों में कहा जाता है कि मां हमेशा ऊंचे स्थानों (Maihar Mata Mandir) पर ही निवास करती है। जिस तरह भक्त मां के दर्शन के लिए पहाड़ों को पार कर वैष्णों देवी तक पहुंचते...

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Maihar Mata Mandir: शास्त्रों में कहा जाता है कि मां हमेशा ऊंचे स्थानों (Maihar Mata Mandir) पर ही निवास करती है। जिस तरह भक्त मां के दर्शन के लिए पहाड़ों को पार कर वैष्णों देवी तक पहुंचते है। ऐसा ही एक और देवी मां का मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले स्थित है। इस मंदिर को मैहर मां शारदा देवी के नाम से जाना जाता है। जो 52 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर को लेकर लोगों में भी कई सारी मान्यताएं है। माना जाता है कि जो भी मां अपने हर भक्त की मनोकामनाओं को पूरी करती है। आइए जानते है इसे मंदिर से जुड़ मान्यताओं और कहानियों के बारे में :-

विंध्य पर्वत के बीच में है मंदिर:-

 

 

मां शारदा का यह मंदिर सतना जिले में मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर बना हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर में सबसे पहले पूजा आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा की गई थी। वहीं पौराणिक ग्रंथो व पुराणों में भी विध्य के त्रिकुट पर्वत का वर्णन मिलता हैं। नवरात्रि के समय में लाखों की संख्या में श्रद्धालु 1052 सीढ़ी चढ़कर मां के दर्शन के लिए आते हैं।

मां सती का गिरा था हार:-

 

 

इस जगह को लेकर कई सारी मान्यताएं और कथाएं प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि जब मां सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह किया था तब भगवान शिव उनके शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमे थे। जिन स्थानों पर मां सती के शरीर के अंग गिरे वे सभी स्थान पवित्र शक्तिपीठ बन गए। उन्हीं में से एक मां शारदा दैवी का मैहर मंदिर भी है। कहा जाता है कि इस स्थान पर मां सती का हार और कंठ गिरा था। इसी वजह से इस मंदिर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मान्यता के अनुसार तहसील मैहर को मां देवी का घर यानी मायका कहा जाता है। जिस व​जह से यहां के लोग इसे मैहर कहकर बुलाते है।

आल्हा, उदल ने की थी मंदिर की खोज:-

 

 

कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज योद्धा आल्हा और उदल नाम के दो भाईयों द्वारा की गई थी। माना जाता है कि आल्हा और उदल मां शारदा के परम भक्त थे। यहां पर दोनों भाईयों ने 12 साल तक कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से मां प्रसन्न होकर मां शारदा ने अमरता का वरदान दिया। माना जाता है कि यहां आज भी हर दिन ब्रम्ह मुहुर्त में आल्हा खुद आकर मां की पूजा पाठ करते है। वहीं मंदिर परिसर में ही आल्हा देव की खड़ाऊ और तलवार भक्तों के दर्शन के लिए रखी गई है।

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