Saturday, July 5, 2025
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Mahakumbh Akhada: महाकुंभ से शुरू हुई अखाड़ों की विदाई, अब मिलेंगे उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में

अखाड़ों के झंडे 26 फरवरी को महाशिवरात्री के संगम पर अंतिम स्नान के बाद ही हटाये जायेंगे। अखाड़े महाकुंभ छोड़ने से पहले कढ़ी-पकौड़ा भोजन का आनंद लेते हैं।
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Mahakumbh Akhada

Mahakumbh Akhada: सोमवार को बसंत पंचमी के अवसर पर तीसरा अमृत स्नान पूरा होने के साथ ही पिछले 22 दिनों से गंगा तट पर डेरा डाले विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं ने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया है। पिछले 22 दिनों से निरंजनी, महानिर्वाणी और जूना अखाड़े (Mahakumbh Akhada) के बाहरी रास्ते पर बैठे नागा संन्यासी अपना सामान इकट्ठा कर रहे हैं। उन्होंने धूनी सहित जमीन में धँसा चिमटा निकाला और कपड़े से बाँध दिया। उन्होंने एक बक्से में अपने त्रिशूल और तलवार भी रख दिए।

अखाड़ों के झंडे 26 फरवरी को महाशिवरात्री के संगम पर अंतिम स्नान के बाद ही हटाये जायेंगे। अखाड़े महाकुंभ (Mahakumbh Akhada) छोड़ने से पहले कढ़ी-पकौड़ा भोजन का आनंद लेते हैं। यह परंपरा मंगलवार को अचला सप्तमी के दिन आयोजित की गयी। इसके बाद ही कुंभ में अखाड़ा शिविर स्थापित होने के दिन से ही जलने वाली धूनी भी बुझा दिए जायेंगे।

पिछले एक महीने से भक्तों को आशीर्वाद देने वाले नागा संन्यासी अब यहां से जाने के लिए ट्रक, ट्रैक्टर और वाहनों की व्यवस्था करने में लगे हुए हैं। महाकुंभ से सबसे पहले प्रस्थान शैव अखाड़े के साधु करेंगे उसके बाद अनी और उदासीन अखाड़ों के साधु विदाई लेंगे।

त्रिजटा स्नान तक रुकेंगे अनी अखाड़े के साधु

अधिकांश साधु और नागा साधु मेला क्षेत्र खाली करना शुरू कर देंगे लेकिन अनी अखाड़े के साधु धूनी तपस्या पूरी करने के बाद त्रिजटा स्नान के लिए यहां रुकेंगे। इसके बाद वे भी प्रस्थान कर जायेंगे। कहा जाता है कि त्रिजटा स्नान उन लोगों के लिए विशेष फलदायी होता है जो एक महीने तक स्नान नहीं कर पाते। त्रिजटा स्नान का शुभ समय फाल्गुन मास की तृतीया तिथि है जो 15 फरवरी को होगी। कई वैष्णव संत भी इस स्नान के लिए विशेष रूप से प्रयाग आते हैं। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के आखिरी स्नान के बाद महाकुंभ मेले का औपचारिक समापन होने के बाद ही वे यहां से रवाना होंगे।

महाकुंभ में नया दीक्षा लेने वाले साधु जायेंगे वाराणसी

परंपराओं के अनुसार, महाकुंभ में दीक्षा लेने वाले नागा साधु वाराणसी जायेंगे जहां उन्हें तपस्वी जीवन में अपनी दीक्षा का प्रमाण पत्र प्राप्त होता है। नवनियुक्त महामंडलेश्वर, महंत और अष्टकोशल अखाड़े की आठ सदस्यीय पंचायत रमता पंच के सदस्यों को भी काशी में प्रमाणपत्र मिलेगा। महाकुंभ के पूरा होने के बाद, उनके सभी पुराने प्रमाणपत्र रद्द कर दिए जाएंगे और उन्हें नए प्रमाण पत्र मिलेंगे।

यह भी पढ़ें: PM मोदी ने प्रयागराज महाकुंभ में लगाई आस्था की डुबकी, संगम में किया स्नान

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