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Magh Bihu 2024: क्यों मनाया जाता है माघ बिहू, जानें इसका धार्मिक महत्व

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Magh Bihu 2024: माघ बिहू जिसे भोगाली ​बिहू (Magh Bihu 2024 )के नाम से भी जाना जाता है। यह फसल उत्सव के रूप में असम (Asam) राज्य में मनाया जाता है। माघ बिहू कटाई के फसल के अंत...
01:22 PM Jan 14, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Magh Bihu 2024: माघ बिहू जिसे भोगाली ​बिहू (Magh Bihu 2024 )के नाम से भी जाना जाता है। यह फसल उत्सव के रूप में असम (Asam) राज्य में मनाया जाता है। माघ बिहू कटाई के फसल के अंत का प्रतीक माना जाता है और इस दिन से ही शादी व मांगलिक कार्यो के शुभ मुहूर्त की शुरूआत हो जाती है। यह हर साल जनवरी के मध्य में उत्साह और पांरपरिक सांस्कृतिक के साथ मनाया जाता है। यह पर्व अग्नि देव को समर्पित होता है। वहीं फसल से जुड़ा यह पर्व (Magh Bihu)दूसरे राज्यों में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भी पोंगल की तरह किसानों का पर्व माना जाता है।

क्यों मनाया जाता है माघ बिहू:-

इस साल 16 जनवरी 2024 को माघ बिहू का पर्व मनाया जाएगा। माघ बिहू असम में फसल कटाई का मुख्य पर्व माना जाता है और यह पर्व फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। असम के लोग माघ बिहू से नव वर्ष की शुरूआत मानते है । वहीं पहले इसे बिहू को बिशू कहा जाता था जिसमें बि का अर्थ पूछना और शु का अर्थ शांति और समृद्धि से है अर्थात बिहू का अर्थ पूछना और देने से है। वहीं इसे भोगाली बिहू इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि इसमें कई तरह की पांरपरिक व्यजंन बनाए जाते है और लोग एक साथ सामूहिक भोज आयोजित करते है। जिस वजह से इसे भोगाली कहा जाता है।

 

भोगाली बिहू का महत्व:-

माघ बिहू या भोगाली बिहू मकर संक्रांति के पहले दिन से शुरूआत होती है। माघ में पड़ने की वजह से इसे माघ बिहू कहा जाता है। इस माह में तिल,गन्ने, नारियल और चावल समेत नए फसलों की कटाई की जाती है और फसल की पहला ​हिस्सा भगवान को अर्पित किया जाता है। ​इसलिए इस पर्व को फसल उत्सव भी कहा जाता है। बिहू के दिन लोग नई फसलों से कई तरह के पकवान और व्यजंन बनाते है जिसमें आलू पितिका, जाक, मसोर टेंगा और खार जैसे व्यंजन प्रमुख है और फिर सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।

असम में यह पर्व सप्ताह भर मनाया जाता है। जिसमें पारंपरिक असमिया खेल खेले जाते है जिसमें टेकेली भोंगा और भैंस लड़ाई शामिल है। कई जगहों पर माघ बिहू को उरुका भी कहा जाता है। इस पर्व के पहले दिन लोग अपनी खेती की जमीन पर बांस और घास-फूस से घर तैयार करते है जिसे मेजी कहा जाता है। रात में लोग अलाव के पास ए​कत्रित होकर कई तरह के पकवान बनाते हैं  और भगवान से परिवार में सुख शांति और समृद्धि की कामना करते है।

साल में 3 बार मनाया जाता है बिहू:-

हर साल बिहू का त्यौहार 3 बार मनाया जाता है। जिसमें पहला जनवरी में आता है जिसे माघ बिहू या भोगाली बिहू कहा जाता है। इसके बाद दूसरा अप्रैल के मध्य में आता है जिसे रोंगाली बिहू कहा जाता है वहीं तीसरा त्यौहार साल के अंत में अक्टूबर में मनाया जाता है जिसे काती​ बिहू या कोंगाली बिहू कहा जाता है।

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