हनुमान जी के सामने ऐसे जलाएं चौमुखी दीपक, पूरी होगी मनोकामना
Hanuman ji ki puja: पूरे भारत में, लाखों लोग भगवान हनुमान को साहस, शक्ति और अटूट भक्ति के अवतार के रूप में पूजते हैं। भक्तों द्वारा किया जाने वाला सबसे शक्तिशाली लेकिन सरल अनुष्ठान हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक चतुर्मुखी दीपक जलाना है। परंपरा के अनुसार, यह अर्पण सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, बाधाओं को दूर करता है और हार्दिक इच्छाओं की पूर्ति में तेज़ी लाता है।
चतुर्मुखी दीपक पूजा का लाभ
चतुर्मुखी दीया - समकोण पर व्यवस्थित चार बत्तियों वाला एक दीया - भगवान हनुमान की चारों दिशाओं में सर्वव्यापी सतर्कता का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस दीपक को जलाने से उपासक के चारों ओर एक सुरक्षात्मक आभा बनती है, जो हनुमान की चार गुना ऊर्जा का आह्वान करती है: शक्ति, बुद्धि, गति और सुरक्षा। सदियों से, संतों और शास्त्रों ने करियर की सफलता से लेकर व्यक्तिगत कल्याण तक के प्रयासों में सफलता के लिए इस अनुष्ठान की सिफारिश की है।
चार मुखी दीपक का महत्व
चार लपटें हनुमान की हर दिशा से नकारात्मकता को दूर भगाने की क्षमता को दर्शाती हैं - पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण - जो व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
अग्नि, वायु (बाती की लौ के माध्यम से), पृथ्वी (मिट्टी का दीपक) और तेल मिलकर तत्व ऊर्जाओं में सामंजस्य स्थापित करते हैं, जिससे आध्यात्मिक प्रगति में तेज़ी आती है।
जो भक्त लगातार चतुर्मुखी दीया जलाते हैं, वे परीक्षा, नौकरी के साक्षात्कार, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और वैवाहिक सद्भाव में तेज़ी से सफलता की रिपोर्ट करते हैं।
भगवान राम के प्रति हनुमान की अटूट भक्ति साधकों को अपने विश्वास और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।
पूजा विधि
हनुमान जी की मूर्ति या छवि के लिए एक साफ, ऊँची वेदी चुनें।
मिट्टी या पीतल का चतुर्मुखी दीया इस्तेमाल करें। सुनिश्चित करें कि चारों बत्तियाँ बराबर लंबाई की हों।
शुद्धिकरण और संकल्प
स्नान करें और साफ कपड़े पहनें, अधिमानतः लाल या केसरिया।
धूप जलाएँ और जल (आचमन) चढ़ाएँ।
संकल्प लें: “मैं इस चौमुखी दीपक से भगवान हनुमान की पूजा करता हूँ (अपनी इच्छा बताएँ)।”
दीप जलाना
दीप में शुद्ध घी या सरसों का तेल डालें।
“ॐ हनुमते नमः” का जाप करके हनुमान जी का आह्वान करें और एक साथ चारों बत्तियाँ जलाएँ।
मंत्र जाप और अर्पण
हनुमान चालीसा या “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
लाल फूल, सिंदूर-मिश्रित तेल और ताजे फल चढ़ाएँ।
आरती और प्रसाद
एक बत्ती वाले दीपक से संक्षिप्त आरती करें।
परिवार और मेहमानों को प्रसाद (मीठे चावल, लड्डू) बाँटें।
चार मुखी दीपक को प्राकृतिक रूप से जलने दें; इसे समय से पहले न बुझाएँ।
सर्वोत्तम परिणामों के लिए सुझाव
लगातार नौ मंगलवार तक या जब भी कोई जरूरी आशीर्वाद मांगना हो, चतुर्मुखी दीया जलाएं।
मानसिक शुद्धता बनाए रखें; अनुष्ठान के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें।
पुण्य बढ़ाने के लिए पूजा के बाद लाल कपड़ा, केला या गुड़ दान करें।
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