जानिए कितने तरीके के होते हैं मंत्र जाप, क्या है जाप करने के सही नियम ?
Mantra Jaap: हिन्दू धर्म में अनेक शक्तिशाली मंत्र हैं, जिनके जाप से बहुत लाभ होता है। यही कारण है कि बहुत से लोग नियमित रूप से मंत्र जाप करते हैं और उनसे उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से लाभ प्राप्त करना चाहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, मंत्र मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र और शाबर मंत्र। इसी प्रकार, मंत्र जाप करने की भी तीन विधियाँ हैं:
वाचिक जप: इस विधि में मंत्रों का उच्चारण बोलकर किया जाता है।
उपांशु जप: इस जाप में जीभ और होंठ हिलते हुए प्रतीत होते हैं, लेकिन मंत्र की ध्वनि केवल जपने वाले व्यक्ति को ही सुनाई देती है।
मानसिक जप: यह जाप पूर्णतः मन में ही किया जाता है, बिना किसी शारीरिक गतिविधि के।
अनेक व्यक्ति ध्यान और साधना करते समय मंत्रों का जाप करते हैं। रामचरितमानस में कहा गया है कि व्याकुल भक्त भी यदि भगवान के नाम का जाप करते हैं, तो उनके बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं और वे सुखी हो जाते हैं। मंत्र जाप तो बहुत से लोग करते हैं, लेकिन सही तरीके से मंत्र जाप करने के शास्त्रीय नियमों के बारे में जानकारी रखने वाले बहुत कम हैं। तो आइए, उन नियमों को जानते हैं।
मंत्र जाप के नियम
- मंत्र जाप के लिए शरीर का शुद्ध होना ज़रूरी है, इसलिए स्नान के पश्चात ही मंत्र जाप करना उचित है।
- मंत्र जाप सदैव घर के किसी शांत और एकांत स्थान पर करना चाहिए। प्राचीन समय में लोग प्राकृतिक वातावरण जैसे वृक्षों के नीचे, नदी के किनारे, वन में या साधना स्थलों पर जाप करते थे। इससे एकाग्रता तो बढ़ती ही थी, साथ ही प्रकृति से भी ऊर्जा प्राप्त होती थी। मंत्र जाप के लिए कुश के आसन पर बैठना चाहिए, क्योंकि कुश ऊष्मा का अच्छा सुचालक माना जाता है। इससे मंत्रोच्चारण से उत्पन्न ऊर्जा हमारे शरीर में संचित होती है।
- जाप करते समय रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखना चाहिए, ताकि सुषुम्ना नाड़ी में प्राण का प्रवाह निर्बाध रूप से हो सके, क्योंकि इसी नाड़ी से पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
- मंत्रोच्चारण की गति जाप के दौरान एक समान रहनी चाहिए, अर्थात न बहुत तेज़ और न ही धीमी। यदि संभव हो, तो मानसिक जाप करें, यानी मन में ही मंत्र का उच्चारण करें और मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें। गलत उच्चारण से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है या मंत्र निष्प्रभावी हो सकता है।
- सामान्य जप के लिए तुलसी की माला का उपयोग करना चाहिए, जबकि किसी विशेष कामना की सिद्धि के लिए किए जाने वाले मंत्र जाप में चंदन या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना उचित है।
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