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Kanya Pujan 2025: शारदीय नवरात्रि में कब करें कन्या पूजन? जानें तिथि और विधि

ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन करने से जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद मिलता है।
02:03 PM Sep 23, 2025 IST | Preeti Mishra
ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन करने से जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद मिलता है।
Kanya Pujan 2025 Kab Hai

Kanya Pujan 2025: कन्या पूजन नवरात्रि के दौरान अष्टमी या नवमी के दिन किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह छोटी कन्याओं की पूजा का प्रतीक है, जिन्हें माँ दुर्गा के नौ रूपों का स्वरूप माना जाता है। इस दिन लोग नौ कन्याओं और एक बटुक (Kanya Pujan 2025) के पैर धोते हैं, पवित्र धागे बाँधते हैं और उन्हें पूरी, चना, हलवा, फल और उपहार जैसे व्यंजन भेंट करते हैं।

कन्या पूजन अनुष्ठान स्त्री शक्ति और दिव्य ऊर्जा के प्रति सम्मान का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन (Kanya Pujan 2025) करने से जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद मिलता है। यह पवित्र परंपरा समाज में पवित्रता, शक्ति और भविष्य की समृद्धि की वाहक के रूप में बालिकाओं का सम्मान और महत्व भी बताती है।

कब है इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन?

कन्या पूजन में लोग दो से दस वर्ष की आयु की कन्याओं की पूजा करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। इन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। शारदीय नवरात्रि 2025 के दौरान, महाअष्टमी और महा नवमी को कन्या पूजन किया जाएगा।

कन्या पूजन, जिसे कंजक भी कहा जाता है, नवरात्रि के अंतिम दिनों में किया जाता है। इस वर्ष कन्या पूजन 30 सितंबर (महा अष्टमी) और 1 अक्टूबर (महा नवमी) को किया जाएगा। अष्टमी को देवी महागौरी और नवमी को देवी सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कन्या पूजन किया जाता है।

कन्या पूजन का महत्व यह है कि कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। नौ कन्याएँ देवी के नौ रूपों का प्रतीक हैं, जबकि बालक (लंगूर) भगवान भैरव का प्रतीक है।

कन्या पूजन की सही विधि

कन्याओं का चयन: 2 से 10 वर्ष की आयु की नौ कन्याओं और एक बालक (लंगूर) को आमंत्रित करें।
स्वागत और सम्मान: सबसे पहले, उनके पैर धोएँ और उन्हें एक स्वच्छ आसन पर बिठाएँ।
पूजा: कन्याओं के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाएँ, मौली बाँधें और पुष्प अर्पित करें।
भोजन: कन्याओं को पूड़ियाँ, चना और हलवा जैसे पारंपरिक प्रसाद परोसे जाते हैं। इसे पारंपरिक प्रसाद माना जाता है।
दक्षिणा और उपहार: भोजन के बाद, कन्याओं को फल, वस्त्र, खिलौने या दक्षिणा दें।
विदाई: कन्याओं पर पूरे मन से अपना प्रेम बरसाएँ और उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें, और उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें।

अगर आपको नौ कन्याएँ न मिलें तो क्या करें?

नवरात्रि के दौरान हर जगह कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है। कभी-कभी नौ कन्याएँ नहीं आ पातीं। यदि नौ कन्याओं को आमंत्रित करना संभव न हो, तो कम कन्याओं के साथ भी पूजा की जा सकती है। शास्त्रों में कहा गया है कि शेष कन्याओं के स्थान पर गाय को भोजन कराने से भी उतना ही शुभ फल मिलता है। वहीं आप अगर किसी कारणवश घर पर कन्या पूजन न कर पाएं तो आप मंदिर में जाकर भी माता रानी को भोग लगा सकते हैं।

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