Kajari Teej 2025: आज है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Kajari Teej 2025: आज कजरी तीज है। इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है और यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है। यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। आज के दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। वहीँ अविवाहित लड़कियाँ भी आदर्श जीवनसाथी के लिए यह व्रत (Kajari Teej 2025) रखती हैं।
आज महिलाएं देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करेंगी, लोकगीत गाएंगी और अनुष्ठान करेंगी। झूले की सजावट, पारंपरिक परिधान और मेहंदी लगाना इस उत्सव की विशेषता है, जो वैवाहिक आनंद, भक्ति (Kajari Teej 2025) का प्रतीक है।
कजरी तीज पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
आज कजरी तीज पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग आज सुबह 11:52 मिनट से 13 अगस्त की सुबह 05:49 मिनट तक रहेगा। वहीं कजरी तीज पर पूजा के लिए पांच मुहूर्त बन रहे हैं।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:23 मिनट से 05:06 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:02 मिनट से 12:50 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:38 मिनट से 03:31 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:03 मिनट से 07:25 बजे तक
निशिता काल मुहूर्त- रात 12:05 मिनट से 12:48 मिनट तक
कजरी तीज को बड़ी तीज क्यों कहा जाता है?
कजरी तीज को अक्सर बड़ी तीज कहा जाता है, जबकि हरियाली तीज को छोटी तीज कहा जाता है। कजरी नाम कजरी गीतों की लोक परंपरा से लिया गया है, जो सावन के मौसम में महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले भावनात्मक, भक्तिपूर्ण लोकगीत होते हैं, जो अक्सर अपने प्रिय पति से वियोग के दर्द या मिलन की लालसा को व्यक्त करते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में इसका दूसरा नाम सातुड़ी तीज ज़्यादा प्रचलित है, जहाँ इस त्योहार का क्षेत्रीय सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज देवी पार्वती को समर्पित है, जिनकी पूजा वैवाहिक सुख, समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए की जाती है। यह प्रकृति के मानसून के सौंदर्य का भी प्रतीक है, जिसमें महिलाएँ उत्सव के परिधान पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं और सामुदायिक अनुष्ठानों और लोकगीतों के लिए एकत्रित होती हैं। यह दिन महिलाओं के लिए देवी पार्वती की भक्ति और तपस्या के सम्मान में निर्जला व्रत रखने के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है, जिसके माध्यम से उनका भगवान शिव से मिलन हुआ था। ऐसा माना जाता है कि जो स्त्रियाँ पूरी श्रद्धा से कजरी तीज व्रत करती हैं, उन्हें वैवाहिक सुख, वैधव्य से मुक्ति और पारिवारिक जीवन में सामंजस्य का आशीर्वाद मिलता है।
कजरी तीज पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और निराहार/निर्जला व्रत का संकल्प लें।
- साफ स्थान पर मिट्टी या लकड़ी के पटरे पर लाल या पीले कपड़े बिछाएं।
- माता पार्वती, भगवान शिव और नीम की डाली/मूर्ति को स्थापित करें।
- सिंदूर, बिंदी, कांच की चूड़ियां, मेहंदी, बिस्कुट/फल, और मिठाई अर्पित करें।
- कजरी तीज व्रत कथा सुनें और आरती करें।
- देवी को झूला झुलाकर भजन-कीर्तन करें।
- चंद्र दर्शन के बाद जल पीकर व्रत खोलें।
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