नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

Jivitputrika Vrat 2025: जीवित्पुत्रिका व्रत रविवार को, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजा मुहूर्त और पारण समय

व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, उसके बाद खुर जितिया होता है और तीसरे दिन सूर्योदय के बाद पारण के साथ समाप्त होता है।
07:00 AM Sep 13, 2025 IST | Preeti Mishra
व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, उसके बाद खुर जितिया होता है और तीसरे दिन सूर्योदय के बाद पारण के साथ समाप्त होता है।
Jivitputrika Vrat 2025

Jivitputrika Vrat 2025: जीवित्पुत्रिका व्रत रविवार को रखा जाएगा। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में प्रचलित यह व्रत संतान की दीर्घायु और समृद्धि के लिए समर्पित है। इस व्रत (Jivitputrika Vrat 2025) में माताएँ 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।

व्रत की शुरुआत नहाय-खाय (स्नान और सात्विक भोजन) से होती है, उसके बाद खुर जितिया (कठोर उपवास) होता है और तीसरे दिन सूर्योदय के बाद पारण के साथ समाप्त होता है। महिलाएँ भगवान जीमूतवाहन (Jivitputrika Vrat 2025) से प्रार्थना करती हैं और अपने बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

कब किया जाता है यह व्रत?

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय ने बताया कि यह व्रत आश्विन कृष्ण प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि को किया जाता है। निर्णय सिंधु के अनुसार "पूर्वेद्युरपरेद्युर्वा प्रदोषे यत्र चाष्टमी तत्र पूज्यः सनारीभि: राजा जीमूतवाहन:" अर्थात अपराह्ण व प्रदोष काल में अष्टमी तिथि मिलने के कारण जीवितपुत्रिका का व्रत रविवार को ही करना श्रेष्ठकर होगा।

कब है जीवित्पुत्रिका व्रत पूजन मुहूर्त?

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत पूजन मुहूर्त 14 सितंबर, दिन रविवार को शाम 04:35 से शाम 06:00 के बीच है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र दिन में 01:02 बजे तक है उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। यह व्रत स्त्रियाँ अपने पुत्र की रक्षा के लिए करती है। इस व्रत में एक दिन पहले ब्रह्ममुहूर्त में जल, अन्न व फल ग्रहण करके दूसरे दिन अष्टमी तिथि में पूरे दिन व रात निर्जला व्रत किया जाता है।

ऐसे की जाती है पूजा

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते हैं कि व्रत के दिन शाम को सायं काल में राजा जीमूतवाहन की कुश से निर्मित प्रतिमा पर जल, चन्दन, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित किया जाता है और फिर पूजा करती है। इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है, जिसके माथे पर लाल सिन्दूर का टीका लगाया जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

कब होगा व्रत के बाद पारण?

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते हैं कि कब होगा पारण पूजन के पश्चात जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। पुत्र की दीर्घायु व आरोग्य तथा कल्याण की कामना से स्त्रियाँ इस व्रत को करती है। कहते है जो महिलाएं निष्ठापूर्वक विधि-विधान से पूजन के पश्चात कथा सुनकर ब्राह्माण को दान-दक्षिणा देती है, उन्हें पुत्र सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है और पुत्र दीर्घायु व यशश्वी होता। अपने पुत्र व पौत्रों के दीर्घायु होने की कामना करते हुए स्त्रियाँ बड़ी निष्ठा और श्रद्धा से इस व्रत को पूरा करती हैँ। श्री पांडेय के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत का पारणा सोमवार, 15 सितंबर को सुबह 07:27 के बाद ही किया जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें: Jitiya Vrat Bhog: जितिया व्रत में जरूर लगाएं इन पांच चीज़ों का भोग, मिलेगा आशीर्वाद

Tags :
Jivitputrika Vrat 2025Jivitputrika Vrat 2025 dateJivitputrika Vrat 2025 Parana TimeJivitputrika Vrat 2025 Puja MuhuratJivitputrika Vrat fasting rulesJivitputrika Vrat for children’s long lifeJivitputrika Vrat in Bihar and UPKab Hai Jivitputrika Vratकब है जीवित्पुत्रिका व्रतजीवित्पुत्रिका पारण का समयजीवित्पुत्रिका व्रत का महत्वजीवित्पुत्रिका व्रत पूजा मुहूर्तजीवित्पुत्रिका व्रत रविवार को

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article