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Jaya Ekadashi 2024 Vrat Katha: एकादशी के दिन जरूर सुने ये व्रत कथा, परेशानियों से मिलेगी मुक्ति

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Jaya Ekadashi 2024 Vrat Katha: सनातन धर्म में एकादशी व्रत (Jaya Ekadashi 2024 Vrat Katha )का खास महत्व माना जाता है। हर माह में दो एकादशी मनाई जाती है। इन्ही एकादशी में से शुक्ल पक्ष की एकादशी...
12:36 PM Feb 16, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Jaya Ekadashi 2024 Vrat Katha: सनातन धर्म में एकादशी व्रत (Jaya Ekadashi 2024 Vrat Katha )का खास महत्व माना जाता है। हर माह में दो एकादशी मनाई जाती है। इन्ही एकादशी में से शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। ​सभी एकादशी में जया एकादशी महत्वपूर्ण और पुण्यदायी माना गया है। इस एकादशी को सभी पापों को हरने वाला माना गया है। इस एकादशी में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस साल जया एकादशी 20 फरवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी का व्रत करने से और पूजा कर व्रत कथा सुनने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते है। वहीं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी व्रत कथा:-

पौराणिक ग्रंथों में जया एकादशी से जुड़े कई कथाओं का वर्णन किया गया है। धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें माघ मास में शुक्ल पक्ष की जया एकादशी का महत्व समझाते हुए एकादशी की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि एक बार की बात है देवराज इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवगण और संत उपस्थि​त थे और गंधर्व गीत गा रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थी। इन्हीं गंधर्वो में से एक माल्यवान नाम का गंधर्व था जो बहुत मधुर गीत गाता था। वह बहुत रूपवान भी था।

गंधर्व कन्याओं में से एक सुंदर पुष्यवती नृत्यांगना भी थी। उत्सव के दौरान माल्यवान और पुष्यवती ने एक दूसरे को देखा और एक दूसरे की सुंदरता पर मोहित हो गए। इस वजह से वह अपनी सुधबुध खो बैठे और उनकी लय व ताल पूरी तरह से टूट गई। माल्यवान और पुष्यवती के इस कृत्य को देख देवराज इंद्र क्रोधित हो गए। उन्होंने दोनों को स्वर्ग से वंचित रहने और मृत्युलोक में पिशाचों का जीवन भोगने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से माल्यवान और पुष्यवती दोनों पिशाच यानी प्रेत योनी में चले गए और वहां जाकर दुख भोगने लगे। इस श्राप से दोनों काफी दुखी रहने लगे।

एक समय की बात है कि माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दोनों ने एक बार फलाहार किया और रात में भगवान से प्रार्थना कर अपने कर्मो पर पश्चाताप कर रहे थे। सुबह होने तक दोनों की मृत्यु हो गई थी। लेकिन अनजाने में ही सही माल्यवान और पुष्यवती ने एकादशी का उपवास किया और इसी के प्रभाव की वजह से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई। इस वजह से दोनों फिर से स्वर्ग लोक चले गए।

जया एकादशी शुभ मुहूर्त

 

हिंदू पंचांग के अनुसार जया एकादशी का आरंभ 19 फरवरी की सुबह 08 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में जया एकादशी व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा। वहीं इस व्रत का पारण का समय 21 फरवरी की सुबह 06 बजकर 55 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। साधक​ इस समय में भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा कर सकते है।

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