Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर्व के लिए मथुरा-वृंदावन तैयार, जानें मंगला आरती का समय
Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, लेकिन वृंदावन, खासकर मथुरा में यह सिर्फ़ एक त्योहार से कहीं बढ़कर है। इन दो नगरों में यह पर्व आध्यात्मिक रूप से एक यादगार अवसर होता है। वृंदावन, जो भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली रहा है, और मथुरा, जहाँ उनका जन्म हुआ था, दोनों जगहें जन्माष्टमी के दिन पूरी तरह से कृष्ण के प्रेम में (Janmashtami 2025) सराबोर हो जाते हैं।
भक्ति, संगीत और रंगों के बीच, मथुरा और वृंदावन की पावन नगरी कृष्ण जन्माष्टमी पर एक बार फिर दिव्य उत्सवों से गुलज़ार है। यहाँ, मंदिर सजे हुए हैं और कुंज की गलियाँ मनमोहक कीर्तन और भावपूर्ण भजनों से (Janmashtami 2025) सराबोर हैं।
आज मनाई जाएगी मथुरा-वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी
मथुरा-वृन्दावन में जन्माष्टमी आज मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान कृष्ण के 5,252वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाएगी। मथुरा-वृन्दावन में निशिता पूजा, जिसे मध्यरात्रि आरती भी कहा जाता है, रात 11:59 बजे से 12:45 बजे के बीच होगा। यही वह समय है जब भगवान कृष्ण ने अपना भव्य रूप धारण किया था। अष्टमी तिथि 16 अगस्त को सुबह 3:33 बजे शुरू होगी और 17 अगस्त को सुबह 2:26 बजे तक रहेगी।
समय को लेकर कुछ भ्रम था क्योंकि कैलेंडर की तिथियों के ओवरलैप होने के कारण अष्टमी तिथि 15 अगस्त को देर से (रात 11:49 बजे) शुरू होकर 16 अगस्त (रात 9:34 बजे तक) तक चलने वाली थी। हालाँकि, कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी 2025 मंगला आरती का समय
कृष्ण भक्तों के लिए मंगला आरती हमेशा ही विशेष रूप से जन्माष्टमी के दौरान, अत्यंत उत्साह का विषय होती है। इस दिन मथुरा-वृंदावन में विशाल जुलूस निकाले जाते हैं, सुंदर झाँकियाँ सजाई जाती हैं और पूरे शहर में भजन-कीर्तन की गूँज होती है। यह मंगला आरती वर्ष में केवल एक बार, भगवान कृष्ण के जन्म की रात, जन्माष्टमी को, मध्यरात्रि में की जाती है।
निशिता काल, जिसे बांके बिहारी, इस्कॉन और कृष्ण जन्मभूमि मंदिर जैसे मंदिरों में दर्शन, अभिषेक और आरती के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है, भगवान कृष्ण के जन्म का सटीक समय माना जाता है।
कैसा होता है मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी उत्सव?
श्री कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं को ब्रज भूमि, मथुरा, वृंदावन, नंदगाँव, गोकुल और बरसाना में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में जन्माष्टमी के दिन मध्यरात्रि में भगवान के जन्म का भव्य अभिषेक किया जाता है। पूरा वातावरण शंख, घंटियों, जयकारों और वैदिक मंत्रों की ध्वनि से गूंज उठता है।
भक्त वृंदावन के मंदिरों में आयोजित झूलन उत्सव, माखन चोरी और रास लीला जैसे उत्सवों के माध्यम से कृष्ण के बाल और रास दोनों रूपों के दर्शन कर सकते हैं। इस दिन ब्रज में उपवास, रात्रि जागरण और भागवत कथा का विशेष महत्व होता है।
मथुरा और वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी भक्ति को उसकी शुद्धतम अवस्था में देखने का अवसर प्रदान करती है। कल्पना कीजिए कि आप कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में हैं जब मध्यरात्रि की आरती वातावरण में दिव्य ऊर्जा का संचार करती है। आज के दिन वृंदावन की पवित्र गलियों का भ्रमण करें और भगवान की दिव्य लीलाओं को जीवंत करने वाले मनोरम रासलीला प्रदर्शनों का आनंद लें।
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