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Janmashtami 2025: देश भर में आज मनायी जाएगी जन्माष्टमी, इतने मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

आज के दिन देश भर में भक्त उपवास रखते हैं, अनुष्ठान करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
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Janmashtami 2025

Janmashtami 2025: आज, भारत भगवान विष्णु के आठवें अवतार, भगवान कृष्ण के जन्म का पवित्र त्योहार, जन्माष्टमी मना रहा है। यह पावन अवसर देश भर में गहरी भक्ति और आध्यात्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम, करुणा और धर्म के शाश्वत (Janmashtami 2025) संदेश का प्रतीक है।

आज के दिन देश भर में भक्त उपवास रखते हैं, अनुष्ठान करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इस वर्ष, जन्माष्टमी का उत्सव 16 अगस्त की देर रात से 17 अगस्त (Janmashtami 2025) की सुबह तक चलेगा।

Janmashtami 2025: देश भर में आज मनायी जाएगी जन्माष्टमी, इतने मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी के दिन निशिता पूजा का शुभ समय

जन्माष्टमी के दौरान सबसे पवित्र समय निशिता पूजा या मध्यरात्रि की पूजा है, जिसे हज़ारों साल पहले मथुरा में कृष्ण के जन्म का सटीक समय माना जाता है। द्रिक पंचांग 2025 के अनुसार, इस वर्ष निशिता पूजा मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12:04 बजे से रात 12:47 बजे तक है।

इस 43 मिनट की अवधि के दौरान, भक्त विशेष प्रार्थनाएँ करते हैं, विधिवत पंचामृत अभिषेक (मूर्ति को दूध, शहद, घी, दही और जल से स्नान कराना) करते हैं, और शिशु कृष्ण की मूर्ति (बाल गोपाल) को धारण किए हुए सुंदर ढंग से सजाए गए झूले को झुलाते हैं।

हरे कृष्ण मंत्र जैसे मंत्रों का जाप और भक्तिमय भजनों का गायन आध्यात्मिक रूप से ऊर्जावान वातावरण का निर्माण करता है।

Janmashtami 2025: देश भर में आज मनायी जाएगी जन्माष्टमी, इतने मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

शहरवार निशिता पूजा का समय

विभिन्न शहरों में पूजा के समय में थोड़ा अंतर होता है:

मुंबई: 12:20 पूर्वाह्न - 1:05 पूर्वाह्न
दिल्ली: 12:04 पूर्वाह्न - 12:47 पूर्वाह्न
चेन्नई: 11:51 अपराह्न - 12:36 पूर्वाह्न
पुणे: 12:17 पूर्वाह्न - 1:02 पूर्वाह्न
बेंगलुरु: 12:01 पूर्वाह्न - 12:47 पूर्वाह्न

Janmashtami 2025: देश भर में आज मनायी जाएगी जन्माष्टमी, इतने मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी पूजा का महत्व

जन्माष्टमी का व्रत और पूजा मन को शुद्ध करती है और शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करती है। यह त्योहार हमें भगवद् गीता में कृष्ण की शिक्षाओं की याद दिलाता है, जो धर्म, भक्ति और वैराग्य पर ज़ोर देती हैं।

व्रत रखने और ईमानदारी से पूजा में भाग लेने से भक्त का दिव्य चेतना से जुड़ाव मज़बूत होता है और कृष्ण के जीवन के विशिष्ट गुणों - विनम्रता, सेवा और प्रेम - को आत्मसात करता है।

Janmashtami 2025: देश भर में आज मनायी जाएगी जन्माष्टमी, इतने मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

आज जन्माष्टमी कैसे मनाएँ

उपवास: कई भक्त दिन भर का उपवास रखते हैं, जिसे वे मध्यरात्रि की पूजा के बाद ही तोड़ते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि अन्य केवल फल और दूध का सेवन करते हैं।

सजावट: घरों और मंदिरों को फूलों, रोशनी और रंगोली से सजाया जाता है। बाल गोपाल की मूर्ति को झूले पर बिठाने के लिए झूला सजाया और तैयार किया जाता है।

मध्यरात्रि की पूजा: मुख्य अनुष्ठान निशिता पूजा है, जिसमें मंत्रोच्चार, अभिषेक और भक्तिगीत गाए जाते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: मंदिरों और समुदायों में अक्सर कृष्ण की बाल लीला के नाट्य मंचन और अगले दिन दही हांडी जैसे अन्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

Janmashtami 2025: देश भर में आज मनायी जाएगी जन्माष्टमी, इतने मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी 2025 आस्था के नवीनीकरण और दिव्य प्रेम के उत्सव का दिन है। जैसे ही भारत भर के परिवार और मंदिर पवित्र मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण का आह्वान करते हैं, भक्ति और आनंद की भावना वातावरण में व्याप्त हो जाती है, लाखों लोगों को साझा श्रद्धा और सांस्कृतिक परंपरा में एकजुट करती है। भगवान कृष्ण का आशीर्वाद सभी के लिए शांति, ज्ञान और समृद्धि लाए।

सभी को आनंदमय और आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!

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