पितृ पक्ष शुरू, श्राद्ध में कैसे करें पितरों को संतुष्ट? जानें ज्योतिषाचार्य से
Pitru Pakhsa 2025: पितृ पक्ष शुरू हो गया है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि पितृ पक्ष आज 8 सितंबर, सोमवार से आरम्भ हो गया है। यह पुनीत पर्व आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से आरम्भ होता है।
इस बार 14 दिनों का होगा पितृ पक्ष
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष 14 दिनों का होगा। "मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत" . इसका अर्थ है कि श्राद्ध मध्याह्न समय में ही करना चाहिए। बहुत लोग इस बात से भ्रमित रहते है कि इस वर्ष उन्होंने अपनी कन्या या पुत्र का विवाह आदि मांगलिक कार्य किया है। अतः इस वर्ष पितृ पक्ष का जल दान, अन्न दान व पिण्ड दान नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अशुभ होता है।
पंडित राकेश पाण्डेय बताते हैं कि निर्णय सिंधुकार के कथनानुसार सभी मांगलिक कार्यों में पितृ कार्य उत्तम व आवश्यक माना गया है। तभी तो हम जनेऊ, विवाह आदि मांगलिक कृत्य करने से पूर्व नान्दीमुख श्राद्ध अवश्य करते है। अभिप्राय यह है कि हमारे यहाँ होने वाले शुभ कार्य मे किसी भी प्रकार का विघ्न न हो। यह पितृ पक्ष वर्ष में एक बार आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों के श्राद्ध हेतु आता है।
ऐसा कहा गया है कि देवताओं कि की गयी पूजा में कदाचित भूल होने पर देवता क्षमा कर देते है परन्तु पितृ कार्य में न्यूनता व आलस्य करने से पितर असन्तुष्ट हो जातें है, जिससे हमें रोग, शोक, आदि भोगने पड़ते है।
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि शास्त्रों में हर जगह नित्य देखने को मिलता है कि मातृ देवो भव, पितृ देवो भव अतः माता-पिता के समान कोई देवता नही उनकी संतृप्ती व आशीर्वाद हमें जीवन मे हर प्रकार का सुख देता है। अतः इस भ्रान्ति को मन मस्तिष्क में न पालकर इस पितृ पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाना चाहिए। जिसमें नित्य जल दान व तिथि पर पिण्ड दान, अन्न वस्त्र आदि दान करना चाहिए। जिनके पिता के मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध पितृ विसर्जन को करें।
पितृ पक्ष की तिथियाँ
प्रतिपदा का श्राद्ध- 8 सितंबर, सोमवार
द्वितीया श्राद्ध- 9 सितंबर, मंगलवार
तृतीया श्राद्ध- 10 सितंबर, बुधवार
चतुर्थी श्राद्ध- 11 सितंबर, गुरुवार
पंचमी श्राद्ध- 12 सितंबर, शुक्रवार
षष्ठी और सप्तमी श्राद्ध- 13 सितंबर, शनिवार
अष्टमी श्राद्ध- 14 सितंबर, रविवार
मातृ नवमी- 15 सितंबर, सोमवार
दशमी श्राद्ध- 16 सितंबर, मंगलवार
एकादशी श्राद्ध- 17 सितंबर, बुधवार
द्वादशी श्राद्ध- 18 सितंबर, गुरुवार
त्रयोदशी श्राद्ध- 19 सितंबर, शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध- 20 सितंबर, शनिवार
अमावस्या/पूर्णिमा दोनों का श्राद्ध व पितृ विसर्जन- 21 सितम्बर, रविवार को करें।
पितृ पक्ष में कब करें मुंडन?
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार, सिर का मुण्डन पितृ पक्ष के भीतर या तिथि पर नही करना चाहिए। क्योंकि धर्मसिंधु में यह बात कही गयी है कि पितृ पक्ष में सिर के बाल जो भी गिरते है वो पितरों के मुख में जातें हैं। अतः सिर के बाल पितृ पक्ष आरम्भ होने के एक दिन पूर्व बनवालें या भूल वश नही बनवा पाते तो पितृ विसर्जन के दिन अपराह्न काल मे बनवावें।
ऐसा करने से पितर सन्तुष्ट होते है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे कुल की वृद्धि व यश, कीर्ति लाभ, आरोग्यता व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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