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मंगलवार को है हरितालिका तीज, ज्योतिषाचार्य से जानें इस व्रत का माहात्म्य

यदि इस दिन तृतीया, दुतिया से विद्ध न हो कर चतुर्थी से विद्ध हो तो अत्यंत ही शुभ होता है क्यों की द्वितीया तिथि पितरों की तिथि व चतुर्थी पुत्र की तिथि मानी गयी है।
03:49 PM Aug 25, 2025 IST | Preeti Mishra
यदि इस दिन तृतीया, दुतिया से विद्ध न हो कर चतुर्थी से विद्ध हो तो अत्यंत ही शुभ होता है क्यों की द्वितीया तिथि पितरों की तिथि व चतुर्थी पुत्र की तिथि मानी गयी है।
Hartalika Teej 2025

Hartalika Teej Vrat: मंगलवार 26 अगस्त को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्र्स्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय ने बताया कि हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया (Hartalika Teej Vrat) को करने का विधान है।

यदि इस दिन तृतीया, दुतिया से विद्ध न हो कर चतुर्थी से विद्ध हो तो अत्यंत ही शुभ होता है क्यों की द्वितीया तिथि पितरों की तिथि व चतुर्थी पुत्र की तिथि मानी गयी है।

श्री पांडेय के अनुसार, मंगलवार को इस वर्ष तृतीया तिथि दोपहर 12:39 रहेगी। उसके बाद चतुर्थी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी जो अत्यन्त शुभ है। इस वर्ष मंगलवार को हस्त नक्षत्र का योग पूरे दिन रहेगा।

हरतालिका तीज पूजा विधि और समय

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय ने बताया कि पूजन का समय सायं काल प्रदोष काल में 06:20 से 08:41 तक है।

पूजन विधि-इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियों को करने का विधान है उस दिन चाहिए की निर्जला व्रत पूरे दिन रहते हुए सायं काल पूजा स्थल पर एक कलश स्थापित कर गौरी गणेश जी का आवाहन करके पूजन करें पश्चात् देवाधिदेव महादेव सहित माँ पार्वती का आवाहन मिट्टी के पार्थिव में करके उनका षोडशोपचार वा पञ्चोपचार पूजन करें। माँ गौरी का ध्यान कर निम्न मन्त्र का जप यथा सम्भव करें।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्र्स्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

मन्त्र - देवि देवि उमे गौरी त्राहि माम करुणा निधे, ममापराधा छन्तव्य भुक्ति मुक्ति प्रदा भव।

शिव व माँ पार्वती जी के पूजन में शिव को पंच वस्त्र व माता जी के लिए तीन वस्त्र व श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इसी दिन हरी, काली, हस्त गौरी व कोतिश्वरी आदि के व्रत भी होते हैं। इसमें माँ पार्वती के पूजन की प्रधानता है। इस व्रत को भगवान शिव की प्राप्ति हेतु पर्वत राज तनया माँ पार्वती ने सर्वप्रथम किया था। निष्ठा पूर्वक इस व्रत का पालन करने वाली स्त्रियाँ सदा सौभाग्यवती बनी रहती हैं।

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