Ganesh Sthapana Muhurat: कल है गणेश चतुर्थी, जानें बप्पा की मूर्ति स्थापना का मुहूर्त
Ganesh Sthapana Muhurat: गणेश चतुर्थी, जिसे गणेशोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, एक पूजनीय हिंदू त्योहार है जो पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, खासकर मुंबई में। यह अवसर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश के जन्मोत्सव (Ganesh Sthapana Muhurat) का प्रतीक है।
इस दिन, भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जिनका जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में हुआ था। यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के साथ समाप्त होता है, जिसे गणेश विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। विसर्जन के दिन, भक्त भगवान गणेश की मूर्ति (Ganesh Sthapana Muhurat) को किसी जलाशय में विसर्जित करते हैं। आइये जानते हैं गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, स्थापना समय, चतुर्थी तिथि और दिन के पंचांग के बारे।
गणेश चतुर्थी और दिन का पंचांग
द्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी के लिए चतुर्थी तिथि का समय और पंचांग इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 26 अगस्त, 2025 को दोपहर 1:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 27 अगस्त, 2025 को दोपहर 3:44 बजे
26 अगस्त को चंद्र दर्शन से बचने का समय - दोपहर 1:54 बजे से रात 8:29 बजे तक
27 अगस्त को चंद्र दर्शन से बचने का समय - सुबह 9:32 बजे से रात 8:56 बजे तक
सूर्योदय - सुबह 5:57 बजे
सूर्यास्त - शाम 6:48 बजे
चंद्रोदय - सुबह 9:28 बजे
विजय मुहूर्त - दोपहर 2:31 बजे से दोपहर 3:22 बजे तक
रवि योग - सुबह 5:57 से 6:04 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 4:28 से 5:12 बजे तक
गणेश जी की मूर्ति स्थापना का समय और शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना का बहुत महत्व है। इसलिए, सही समय जानने से आपको इस शुभ दिन पर पूजा करने में मदद मिलेगी। गणेश पूजा के लिए सबसे शुभ समय मध्याह्न काल है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म इसी समय हुआ था।
द्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने का समय मध्याह्न काल, 27 अगस्त को सुबह 11:07 बजे से दोपहर 01:42 बजे तक रहेगा। आप इस अवधि के दौरान गणपति जी की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं।
गणेश विसर्जन कब है?
गणेश विसर्जन, गणेश चतुर्थी उत्सव के समापन का प्रतीक है, जब भक्त भव्य जुलूसों के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा को नदियों, झीलों या समुद्र में विसर्जित करते हैं। यह भगवान गणेश के कैलाश पर्वत पर लौटने का प्रतीक है। यह दिन "गणपति बप्पा मोरया" के जयकारों, संगीत, नृत्य और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
परिवार और समुदाय इस विश्वास के साथ गणेश जी को विदाई देते हैं कि वे अगले वर्ष और अधिक आनंद और समृद्धि के साथ लौटेंगे। गणेश विसर्जन हिंदू परंपरा में आस्था, नवीनीकरण और सृष्टि और प्रलय के चक्र को दर्शाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गणेश विसर्जन शनिवार, 6 सितंबर को मनाया जाएगा।
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