Ganesh Chaturthi 2025: गणेश मूर्ति स्थापना से पहले इन जरूरी बातों का रखें ख्याल
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी भारत भर में, खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में, सबसे ज़्यादा मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) बुधवार 27 अगस्त को बड़े उत्साह के साथ मनाई जाएगी। भक्त विघ्नहर्ता और बुद्धि के अग्रदूत भगवान गणेश की मूर्ति को डेढ़ से ग्यारह दिनों की अवधि के लिए घर लाते हैं।
हालाँकि, घर में मूर्ति स्थापित (Ganesh Chaturthi 2025) करने से पहले, यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ अनुष्ठानों और दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है कि उत्सव वास्तव में शुभ हो। इन बातों का ध्यान रखने से न केवल आपके घर में आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है, बल्कि भगवान गणेश की समृद्धि, बुद्धि और शांति का आशीर्वाद भी मिलता है।
सही गणेश मूर्ति का चयन
पहला कदम भगवान गणेश की मूर्ति का सावधानीपूर्वक चयन करना है। परंपरागत रूप से, पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी (शादु माटी) से बनी मूर्तियाँ सबसे शुभ मानी जाती हैं क्योंकि ये पर्यावरण के अनुकूल होती हैं और विसर्जन के दौरान आसानी से घुल जाती हैं। खरीदते समय, मुद्रा का ध्यान रखें—भगवान गणेश की मूर्ति जिसमें उनका दाहिना हाथ आशीर्वाद (अभय मुद्रा) में उठा हुआ हो, शांति और खुशी लाने के लिए आदर्श है। आक्रामक या असामान्य विशेषताओं वाली मूर्तियों से बचें, क्योंकि इन्हें घर पर पूजा के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता है।
मूर्ति की दिशा और स्थापना
गणेश स्थापना के दौरान मूर्ति की स्थापना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व (ईशान) कोने में रखना आदर्श होता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो पूर्व या उत्तर दिशा भी स्वीकार्य है। सुनिश्चित करें कि मूर्ति को बाथरूम के पास या सीढ़ियों के नीचे न रखें, क्योंकि ये क्षेत्र अशुभ माने जाते हैं। जिस मंच या चौकी पर मूर्ति रखी जाती है वह साफ़, सुसज्जित और लाल या पीले कपड़े से ढकी होनी चाहिए।
मुहूर्त और पूजा का समय
मूर्ति स्थापित करने से पहले, भक्तों को गणेश चतुर्थी स्थापना मुहूर्त अवश्य देखना चाहिए। 2025 में, यह त्यौहार 26 अगस्त को पड़ रहा है, और स्थापना का शुभ समय मध्याह्न (दोपहर) होगा, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म इसी समय हुआ था। इस अवधि के दौरान स्थापना करने से सकारात्मकता बढ़ती है और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। राहु काल या अशुभ समय के दौरान मूर्ति स्थापित करने से बचें।
घर की पवित्रता और तैयारियाँ
स्थापना से पहले, घर को अच्छी तरह से साफ़ और पवित्र किया जाना चाहिए। भक्त अक्सर जगह को शुद्ध करने के लिए गंगाजल या पवित्र जल छिड़कते हैं। परिवार के सदस्यों को साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना चाहिए, साफ़ कपड़े पहनने चाहिए और सकारात्मक माहौल बनाए रखना चाहिए। स्थापना के दिन, भगवान गणेश के स्वागत के लिए फूलों, आम के पत्तों, तोरण और रंगोली से सजा हुआ एक स्थान तैयार करें।
गणेश स्थापना के लिए आवश्यक वस्तुएँ
मूर्ति को घर लाने से पहले, सुनिश्चित करें कि आपके पास पूजा की सभी आवश्यक वस्तुएँ तैयार हैं। इनमें शामिल हैं:
लाल और पीले फूल (भगवान गणेश के प्रिय)
दूर्वा घास (21 कलियाँ शुभ मानी जाती हैं)
मोदक और लड्डू (गणपति के लिए विशेष प्रसाद)
अगरबत्ती, दीया और कपूर
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और चीनी का मिश्रण)
नारियल और आम के पत्तों वाला कलश
इन वस्तुओं को पहले से व्यवस्थित करने से स्थापना पूजा सुचारू और पूर्ण हो जाती है।
ध्यान रखने योग्य बातें
एक ही घर में दो गणेश मूर्तियाँ न रखें, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे ऊर्जा में टकराव होता है।
स्थापना के दौरान मूर्ति का मुख हमेशा पूर्व या पश्चिम दिशा में रखें, दक्षिण दिशा में कभी न रखें।
मूर्ति को सीधे ज़मीन पर रखने से बचें—इसे साफ़, ऊँचे मंच पर रखें।
मोदक का भोग लगाएँ, क्योंकि यह भगवान गणेश की प्रिय मिठाई है।
परिवार के सदस्यों को त्योहार के दौरान प्रतिदिन आरती और भजनों में भाग लेना चाहिए।
पर्यावरण-अनुकूल उत्सव
आधुनिक समय में, गणेश चतुर्थी पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी की भी याद दिलाती है। पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियाँ, प्राकृतिक रंग और बायोडिग्रेडेबल सजावट चुनें। गणेश विसर्जन के दौरान, मूर्ति को बिना प्रदूषित किए किसी जलाशय में विसर्जित करें, या घर पर एक छोटा कृत्रिम कुंड बनाने पर विचार करें। इस तरह, यह त्योहार आध्यात्मिक और स्थायी दोनों बना रहेगा।
यह भी पढ़ें: Hartalika Teez Katha: इस कथा के बिना अधूरी मानी जाती है हरतालिका तीज की पूजा