Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी आज, बन रहे हैं कई शुभ योग, ज्योतिषाचार्य से जाने पूजन मुहूर्त
Ganesh Chaturthi 2025: आज देश भर में धूमधाम से गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) मनाई जाती है।
इस बार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि 27 अगस्त को दोपहर 02:06 तक है। आज बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र प्रातः 06:00 बजे तक है उसके बाद चित्रा नक्षत्र के साथ ही आज के दिन आनन्द नामक योग मिल रहा है। यह दिन लोगों के लिए बहुत ही शुभप्रद (Ganesh Chaturthi 2025) है।
गणेश चतुर्थी पर पूजन का शुभ मुहूर्त
आज गणेश चतुर्थी पर पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11:38 से दोपहर 01:55 तक है। ज्योतिषाचार्य श्री पांडेय बताते हैं कि श्री गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा का मण्डप और घरों में स्थापना की जाती है।
कहाँ स्थापित करनी चाहिए बप्पा की मूर्ति?
ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय बताते है कि घर के ईशान कोण में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर में रखी सभी गणेश जी की तस्वीरें पूर्व-उत्तर दिशा में होनी चाहिए। श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहते हैं। वह अपने भक्तों के सभी दुखों और कष्टों को हर लेते हैं।
आज के दिन कैसे करें मूर्ति की स्थापना?
ज्योतिषचार्य के अनुसार, सर्वप्रथम गणेश जी की मूर्ति किसी चौकी पर पीला आसान बिछा कर उस पर स्थापन करे। उसके बाद विघ्नहर्ता गणेश जी का ध्यान कर षोडशोपचार (जल, पंचामृत, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, अक्षत, पुष्प, माला, सिन्दूर, रोली, अबीर, हल्दी, गुलाल, अभ्रक, दूब, बेल पत्र, धूप, दीप) के पश्चात लड्डू का भोग लगाकर घी की आरती करें। संकट नाशन श्री गणेश स्त्रोत का पाठ व गणेश सहस्त्रार्चन करना चाहिए और भगवान की स्तुति करते हुए प्रार्थना करना चाहिए। इससे गणेश जी समस्त विघ्नों को दूर करते हुए आपके सभी मनोरथ को पूर्ण करते है।
हम गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?
ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने अपने शरीर पर लगे लेप से भगवान गणेश की रचना की थी ताकि देवी पार्वती के स्नान करते समय वे उनके कक्ष की रक्षा कर सकें। उन्होंने सख्त आदेश दिया था कि किसी को भी उस कक्ष में प्रवेश न करने दिया जाए। उस समय भगवान शिव घर पर नहीं थे, लेकिन जब वे लौटे, तो गणेश ने उनका रास्ता रोक दिया और उन्हें अंदर नहीं आने दिया।
भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में आकर भगवान गणेश का सिर काट दिया। लेकिन जब देवी पार्वती वापस लौटीं, तो वे व्यथित हो गईं और भगवान शिव से गणेश को जीवित करने की मांग की। तभी भगवान शिव ने गणेश का सिर बदलकर, धरती पर जो उन्हें सबसे पहले मिला, एक हाथी का सिर लगा दिया और उन्हें उनके हाथी के सिर के साथ पुनर्जीवित कर दिया।
इस शुभ दिन पर, लोग अक्सर नया व्यवसाय शुरू करके, नए घर में जाकर, कोई नया उद्यम शुरू करके नई शुरुआत करते हैं।
10 दिनों तक चलेगा यह त्योहार
यह पर्व दस दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी (जिसे गणेश विसर्जन भी कहते हैं) के साथ समाप्त होता है। विसर्जन के दिन, भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को किसी जलाशय में विसर्जित करते हैं। इस बार गणेश विसर्जन या अनंत चतुर्दशी 6 सितम्बर को मनाया जाएगा। वैसे कई लोग अपनी सुविधा के अनुसार तीन या पांच दिनों के लिए भी बप्पा को घर लाते हैं। लेकिन आमतौर पर इस पर्व का समापन गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी को ही होता है।
गणेश चतुर्थी के दिन दिन नहीं देखना चाहिए चांद
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। श्री कृष्ण पुराण की कथा के अनुसार, एक बार चंद्रदेव ने भगवान गणेश के रूप पर हँसी उड़ाई, जिससे वे क्रोधित हो गए। गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा, उसे झूठे आरोपों और अपमान का सामना करना पड़ेगा। इसे मिथ्या दोष कहते हैं। इससे बचने के लिए, भक्त इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करते। इसके बजाय, वे श्राप से बचने के लिए मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान कृष्ण की कथा सुनते हैं।
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