इस नियम से करें अपरा एकादशी की पूजा, घर में आएगी समृद्धि
Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में आध्यात्मिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Apara Ekadashi 2025) को पड़ने वाला यह व्रत ब्रह्मांड के संरक्षक और रक्षक भगवान विष्णु को समर्पित है। इस वर्ष अपरा एकादशी शुक्रवार, 23 मई को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि अपरा एकादशी के अनुष्ठानों और नियमों का पूरी श्रद्धा के साथ पालन करने से व्यक्ति को शांति, समृद्धि और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति भी मिलती है।
पौराणिक मान्यता
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025) का महत्व बताया था। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से व्यक्ति झूठ बोलना, चोरी करना, विश्वासघात करना और बड़ों या शास्त्रों का अनादर करना जैसे बड़े पापों से मुक्ति पाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह अश्वमेध यज्ञ करने, गाय या सोना दान करने और गंगा या यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने के बराबर पुण्य प्रदान करता है।
नियम और अनुष्ठान जिनका पालन करना चाहिए
इस पवित्र व्रत से पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए और पूरे दिन आध्यात्मिक अनुशासन बनाए रखना चाहिए। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान करें और शुद्ध मन और आत्मा के साथ व्रत रखने का संकल्प लें। शरीर और आस-पास के वातावरण को शुद्ध करने के लिए यदि संभव हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं।
एक साफ वेदी स्थापित करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रखें। मूर्ति को पीले फूलों, तुलसी के पत्तों और चंदन के लेप से सजाएँ। घी का दीपक, धूप जलाएँ और फल, दूध और मिठाई चढ़ाएँ। पूरी श्रद्धा के साथ विष्णु सहस्रनाम, अपरा एकादशी व्रत कथा या ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का पाठ करें।
अपरा एकादशी के लिए दो प्रकार के व्रत हैं, निर्जला और फलाहार। इस दिन अनाज, चावल, प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन का सेवन न करें। व्रत रखने से न केवल भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, बल्कि शरीर और मन भी शुद्ध होता है। साथ ही व्रत के दिन क्रोध, लालच या ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें। विनम्रता से बोलें, गपशप से बचें और सत्संग में शामिल हों या धार्मिक भजन सुनें।
अपरा एकादशी पर दान
अपरा एकादशी पर दान करना बेहद फायदेमंद होता है। आप इस दिन कपड़े, फल और भोजन, पानी के घड़े, छाते या पंखे, ब्राह्मणों या गरीबों को पैसे या अनाज दान कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के दान से धन की प्राप्ति होती है और घर से दरिद्रता दूर होती है। पूरे दिन प्रार्थना, जप और भगवान विष्णु से संबंधित शास्त्रों को पढ़ने में समय व्यतीत करें। इससे मन ईश्वर पर केंद्रित रहता है और सांसारिक विकर्षण कम होते हैं। अगले दिन (द्वादशी) सुबह जल्दी उठें, एक साधारण पूजा करें और व्रत तोड़ने से पहले ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को सात्विक भोजन खिलाएं।
आध्यात्मिक और भौतिक लाभ
पापों से मुक्ति: अपरा एकादशी भक्त को सबसे गंभीर कर्मों के बोझ से भी शुद्ध करती है।
वित्तीय समृद्धि: इस दिन की गई पूजा और दान से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
मन की शांति: इस दिन व्रत, प्रार्थना और शुद्ध आचरण मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
मुक्ति का मार्ग: ईमानदारी से पालन आत्मा को मोक्ष की ओर ले जा सकता है, जो जीवन का अंतिम लक्ष्य है।
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