क्या आप जानतें हैं भगवान विष्णु ने क्यों लिया था मोहिनी अवतार ? जाने पूरी कहानी
Mohini Avatar Katha: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। हर महीने में दो बार आने वाला यह व्रत साल में 24 बार आता है, और अधिकमास होने पर यह संख्या 26 तक पहुंच जाती है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से पाप धुल जाते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। मोहिनी एकादशी हर साल शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है और इस वर्ष यह व्रत 8 मई, गुरुवार को रखा जाएगा। विशेष रूप से, इसी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। यद्यपि भगवान विष्णु ने समय-समय पर अनेक अवतार लिए हैं, परन्तु मोहिनी अवतार का एक विशेष महत्व है। आज के इस लेख में, हम इसी कथा के बारे में जानेंगे...
क्यों लिया भगवान ने मोहिनी रूप
राक्षसों द्वारा अमृत कलश छीन लिए जाने के बाद, देवताओं की सहायता करने के लिए भगवान विष्णु ने एक आकर्षक स्त्री, मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी के मनमोहक सौंदर्य ने असुरों को भ्रमित कर दिया, जिससे भगवान विष्णु को देवताओं के बीच सुरक्षित रूप से अमृत का वितरण करने का अवसर मिल गया और इस प्रकार देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ।
मोहिनी अवतार का उद्देश्य
भगवान विष्णु का प्रत्येक अवतार हमें यह याद दिलाता है कि जब भी धर्म पर संकट आएगा, वे अवश्य प्रकट होकर उसकी रक्षा करेंगे। मोहिनी अवतार विशेष रूप से यह दर्शाता है कि यदि उचित समय पर बुद्धिमानी से कार्य किया जाए, तो कार्य सफल हो सकता है और बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
व्रत का शुभ महूर्त (Mohini Avatar Katha)
मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 9 मई, 2025 को किया जाएगा। पारण के लिए शुभ समय सुबह 5:34 बजे से सुबह 8:16 बजे तक रहेगा। इस अवधि में भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए आप अपना व्रत खोल सकते हैं।
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