Diwali 2025: 20 या 21 अक्टूबर, कब है दिवाली? जानें प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से
Diwali 2025: दिवाली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़ी भव्यता और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। दीपावली (Diwali 2025) कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है।
इस वर्ष लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि दिवाली (Diwali 2025) कब मनाई जाए क्योंकि अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर से शुरू होकर दो दिनों तक पड़ रही है और यह 21 अक्टूबर, 2025 को समाप्त होगी। यह लेख इसी असमंजस को दूर करेगा। Hind First ने प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से धनेश मणि त्रिपाठी बात कर दिवाली कब मनाई जाएगी इस असमंजस को दूर किया।
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य धनेश मणि त्रिपाठी दिवाली की तिथि को लेकर?
ज्योतिषाचार्य धनेश मणि त्रिपाठी का कहना है कि दिवाली हर साल अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। अमावस्या का अर्थ होता है रात। दिन में दिवाली नहीं मनाई जाती है। दिवाली तभी मनाई जाएगी जब रात में अमावस्या तिथि प्रबल हो।
ज्योतिषाचार्य धनेश मणि त्रिपाठी के अनुसार, अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे होगा। इसलिए इसलिए आदर्श रूप से दिवाली को 20 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 20 अक्टूबर - शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक
दिवाली के दिन प्रदोष काल - 20 अक्टूबर - शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक
दिवाली के दिन वृषभ काल - 20 अक्टूबर - शाम 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक
दिवाली उत्सव में अमावस्या तिथि का महत्व
ज्योतिषाचार्य धनेश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि हिंदू धर्मग्रंथों में दिवाली के दिन अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि दुष्ट राजा रावण को हराकर भगवान राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के अयोध्या लौटने पर, भक्तों ने उनके स्वागत में लाखों दीये जलाए और इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया क्योंकि उस समय कोई दीया नहीं जला था और यह अमावस्या का दिन भी था।
कब हैं गोवर्धन पूजा और भैया दूज?
ज्योतिषाचार्य धनेश मणि त्रिपाठी के अनुसार, बुधवार, 22 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि शाम 06:18 मिनट तक है। ऐसे में काशी को छोड़कर पुरे देश में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। भैया दूज, गुरुवार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। चूंकि काशी की महिमा अलग बताई गयी है इसलिए वहां गोवर्धन पूजा बाकि देश के साथ नहीं मनाई जाती है।
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