हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज में क्या है अंतर? जानिए इनका महत्व
Teej Festival 2025: हिन्दू धर्म में त्योहारों का बहुत महत्व है। इन्ही त्योहारों में से एक है तीज। तीज महिलाओं द्वारा अपार श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में। यह (Teej Festival 2025) मुख्य रूप से पतियों की भलाई, लंबी आयु और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व देवी पार्वती के भगवान शिव के साथ मिलन से गहराई से जुड़ा हुआ है।
तीज (Teej Festival 2025) को तीन अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है - हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। प्रत्येक का अपना अनूठा अनुष्ठान, समय और सांस्कृतिक महत्व है। वैसे तो तीनों तीज त्योहार देवी पार्वती की भक्ति और वैवाहिक सुख के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं, लेकिन वे समय, रीति-रिवाजों और क्षेत्रीय प्रथाओं में भिन्न हैं। माना जाता है कि इन व्रतों को आस्था के साथ मनाने से वैवाहिक सद्भाव, समृद्धि और भगवान शिव और देवी पार्वती से दिव्य आशीर्वाद मिलता है।
हरियाली तीज
हरियाली तीज श्रावण (जुलाई-अगस्त) के महीने में आती है और इसे खास तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हरियाली शब्द का अर्थ है हरियाली, जो मानसून के मौसम के आगमन का प्रतीक है।
महत्व: हरियाली तीज भगवान शिव और देवी पार्वती के लंबे तप के बाद उनके पुनर्मिलन का प्रतीक है। विवाहित महिलाएँ हरे कपड़े पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, पारंपरिक गीत गाती हैं और पेड़ों से लटके खूबसूरत झूलों पर झूलती हैं। वैवाहिक सुख और पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखा जाता है।
कजरी तीज
कजरी तीज, जिसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है, हरियाली तीज के 15 दिन बाद भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाती है। यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में अधिक प्रचलित है।
महत्व: महिलाएँ, खास तौर पर जो अपने पति से दूर रहती हैं, अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। "कजरी" नामक पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं। भक्त नीम के पेड़ों की पूजा करते हैं और बिना पानी पिए व्रत रखते हैं। अनुष्ठानों में रात में चंद्रमा की पूजा भी शामिल है।
हरतालिका तीज
हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आती है, आमतौर पर गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले। यह महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल जैसे राज्यों में लोकप्रिय है।
महत्व: यह दिन उस घटना की याद दिलाता है जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हरतालिका शब्द "हरत" (अपहरण) और "आलिका" (महिला मित्र) से लिया गया है, जो पार्वती की सहेली को संदर्भित करता है जो उसे अवांछित विवाह से बचने के लिए जंगल में ले गई थी।
अविवाहित लड़कियां भी शिव जैसा आदर्श पति पाने की कामना से यह व्रत रखती हैं। महिलाएं पूरी रात जागकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और यह व्रत 36 घंटे तक निर्जला रह कर किया जाता है।
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