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Dev Deepawali Diya: देव दीपावली के दिन इन सात स्थानों पर जरूर जलाएं दीपक

देव दिवाली के दिन गंगा स्नान करना और दीपक जलाना बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है।
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Dev Deepawali Diya: बुधवार, 5 नवंबर को देव दीपवाली मनाई जाएगी। इस दिन दीपक जलाने का बहुत महत्व होता है। यह त्योहार वाराणसी में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन शिव की नगरी काशी में गंगा नदी के घाटों पर लाखों दिए (Dev Deepawali Diya) जलाए जाते हैं। अनुमान है कि इस बार वाराणसी में 10 लाख से ज्यादा दिए जलाए जाएंगे। पहले यह त्योहार केवल वाराणसी में ही मनाया जाता था लेकिन अब लोग अन्य शहरों में भी इसे मनाने लगे हैं।

देव दिवाली (Dev Deepawali Diya) के दिन गंगा स्नान करना और दीपक जलाना बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है। आज लोग अपने घरों के अलावा अपने शहर के नदी तट पर भी दीपक जलाते हैं। अब जब हम देव दिवाली मनाने से बस एक दिन दूर हैं तो इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि इस दिन किन स्थानों पर दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

Dev Diwali Diyaदेव दिवाली को इन स्थानों पर जरूर जलाएं दिए

ऐसा कहा जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत सबसे पहले अपने घर से ही करनी चाहिए। इसलिए देव दिवाली के दिन सबसे पहले दीया भी घर के मंदिर में जलाना चाहिए। उसके बाद यदि घर के आस-पास मंदिर है तो वहां भगवान विष्णु और शिव के पास दीपक जलाएं। आज के दिन अपने घर की तुलसी जी के पास एक दिया जरूर जलाना चाहिए।

इसके अलावा घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर एक-एक दीपक जलाना चाहिए। घर में सभी मुख्य स्थानों पर दीपक जलाने के बाद आपका घर धन-धान्य से भरा रहे इसके लिए आज एक दिया अपने खेत में भी जलाना चाहिए। साथ ही एक दिया पीपल के पेड़ के नीचे और एक दिया यदि आपके शहर में कोई नदी है तो उसके तट पर जलाना चाहिए।

Dev Diwali Diyaक्यों देव दिवाली पर दीया जलाना माना जाता है शुभ?

देव दिवाली पर दीये जलाने का गहरा आध्यात्मिक महत्व है, जो अंधेरे पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह उस दिन की याद दिलाता है जब भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था, जिससे स्वर्ग में शांति आई थी। दिए इस दिव्य जीत का सम्मान करते हैं, किसी के जीवन में समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करते हैं।

दीये की रोशनी देवताओं के सम्मान में भी अर्पित की जाती है, विशेष रूप से वाराणसी में गंगा के किनारे, जहां हजारों दीपक एक शांत, दिव्य वातावरण बनाते हैं। यह अनुष्ठान शुद्धि के वातावरण को बढ़ावा देता है, नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और आसपास के वातावरण को दैवीय आशीर्वाद और शांति से भर देता है।

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