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Chhath Puja 2025: उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ ही हुआ लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन

व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला उपवास को पूरा किया। इसी के साथ चार दिवसीय छठ पूजा का समापन हो गया।
07:30 AM Oct 28, 2025 IST | Preeti Mishra
व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला उपवास को पूरा किया। इसी के साथ चार दिवसीय छठ पूजा का समापन हो गया।
Chhath Puja 2025 Usha Arghya

Chhath Puja 2025: उदीयमान सूर्य यानी उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही सूर्योपासना और लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो गया। आज भोर से ही छठ घाटों पर लोगों की भीड़ एकत्रित होने लगी। रांची से लेकर पटना तक और लखनऊ से लेकर राजधानी दिल्ली तक छठ घाटों पर देर रात से ही भक्तों (Chhath Puja 2025) की भीड़ देखी गयी।

व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला उपवास को पूरा किया। इसी के साथ चार दिवसीय छठ पूजा (Chhath Puja 2025) का समापन हो गया।

सुबह तीन बजे से ही पानी में खड़े दिखे व्रती

राजधानी लखनऊ में गोमती तट पर बनाए गए छठ घाटों पर लोगों की भारी भीड़ सुबह तीन बजे से ही एकत्रित होने लगी थी। नदी तट के अलावा कई तालाबों में भी सुबह 3 बजे से ही लोगों का पहुंचना जारी रहा। भोर से ही व्रती पानी में उतर कर भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करते दिखे।

हर तरफ छठ घाटों को रंगीन बल्बों और झालरों से सजाया गया था। बच्चे और युवा इस अवसर पर जमकर आतिशबाजी का लुत्फ़ लेते नजर आये। घाट पर हर तरफ छठ गीतों की गूंज सुनाई दे रही थी।

छतों पर भी लोगों ने दिया उदीयमान सूर्य को अर्घ्य

आज सुबह छठ पूजा के दौरान, कई भक्तों ने अपनी छतों या बालकनी से भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया, खासकर शहरी इलाकों में जहाँ नदियों या तालाबों तक पहुँच सीमित थी। पारंपरिक घाटों की तरह ही, लोग सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए बाँस की टोकरियों, फलों और ठेकुआ से छोटे-छोटे ताने-बाने तैयार किये थे। छत पर अर्घ्य देने से सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित होने के साथ-साथ अनुष्ठान की पवित्रता भी बनी रही।

आज करेंगे व्रती पारण

छठ व्रत के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रती 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला व्रत तोड़ेंगे। छठ पारणा, उगते सूर्य को उषा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य) अर्पित करने के बाद, चार दिवसीय छठ पूजा के समापन का प्रतीक है। इस दिन भक्तगण बड़ी श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ अपने 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन करते हैं। पूजा के बाद, वे फल, गुड़, चावल और ठेकुआ सहित छठ प्रसाद ग्रहण करके व्रत तोड़ते हैं। यह पवित्रता, संयम और मनोकामना पूर्ति का प्रतीक है, जो भक्तों के परिवारों में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है।

कल दिया था व्रतियों ने संध्या अर्घ्य

कल सोमवार को देश भर के छठ घाटों पर व्रतियों ने संध्या अर्घ्य देकर सूर्य देव की उपासना की थी। छठ पूजा का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण दिन, संध्या अर्घ्य, 27 अक्टूबर, 2025 को मनाया गया। इस शाम, भक्तों ने नदियों या तालाबों में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव का धन्यवाद किया। इस अनुष्ठान में छठी मैया, जो संतान प्राप्ति और कल्याण से जुड़ी देवी हैं, की भी पूजा की गयी। शाम को महिलाओं के पारंपरिक गीतों से घाटों पर एक गहन आध्यात्मिक वातावरण बन गया।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित सबसे प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक है, जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए कृतज्ञता का प्रतीक है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला यह पर्व कठोर उपवास, पवित्र स्नान और डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने का दिन है। यह अनुष्ठान पवित्रता, अनुशासन और भक्ति का प्रतीक है, जो शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के कल्याण को बढ़ावा देता है। भक्त समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख की कामना करते हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि छठ पूजा का सच्चे मन से पालन करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और बाधाएँ दूर होती हैं।

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