अपरा एकादशी के दिन मनाई जाएगी भद्रकाली जयंती, जानिए इसका महत्व
Bhadrakali Jayanti 2025: भद्रकाली जयंती देवी भद्रकाली के दिव्य अवतार के जन्म के लिए मनाई जाती है। यह मां काली का ही एक स्वरूप हैं। मां भद्रकाली को मां काली का शांत एवं वरदायिनी स्वरूप माना जाता है। ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को भद्रकाली जयंती (Bhadrakali Jayanti 2025) मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है जब सती की मृत्यु की खबर सुनकर भगवन शिव क्रोधित हो गए थे तो उसी समय देवी भद्रकाली शिव जी के जटा से प्रकट हुई थीं।
देवी भद्रकाली के अवतार का मुख्य कारण पृथ्वी से सभी राक्षसों का नाश करना था। देवी बुराई को नष्ट करने और धर्म को बनाए रखने के लिए प्रकट हुई थीं। भद्रकाली जयंती (Bhadrakali Jayanti 2025) के दिन भक्त गहरी भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं, होम करते हैं और लाल फूल, मिठाई और कुमकुम चढ़ाते हैं।
कब है इस वर्ष भद्रकाली जयंती?
द्रिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 मई 2025 को प्रात: 01:12 मिनट से शुरू होकर 23 मई की रात 10:29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में भद्रकाली जयंती 23 मई को मनाई जाएगी। इसी दिन ज्येष्ठ महीने की पहली एकादशी, अपरा एकादशी भी मनाई जाएगी।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भद्रकाली की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा, शक्ति और जीवन की लड़ाइयों में सफलता मिलती है। यह दिन आध्यात्मिक जागृति, आंतरिक शक्ति और भय और अन्याय पर विजय को भी बढ़ावा देता है। देवी भद्रकाली की पूजा दक्षिण भारत में भी बहुत विधि-विधान से की जाती है।
भद्रकाली जयंती के दिन करें ये विशेष पूजा
भद्रकाली जयंती पर देवी भद्रकाली की उग्र और सुरक्षात्मक ऊर्जा का आह्वान करने के लिए एक विशेष पूजा की जाती है। भक्त दिन की शुरुआत स्नान से करते हैं और स्वच्छ, पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। पूजा में देवी को लाल फूल, कुमकुम, सिंदूर, नारियल, धूप और मिठाई चढ़ाना शामिल है।
देवी को प्रसन्न करने के लिए भद्रकाली मंत्र और देवी महात्म्यम जैसे भजन पढ़े जाते हैं। कुछ भक्त शुद्धि और दिव्य आशीर्वाद के लिए हवन भी करते हैं। कई लोग उपवास और रात्रि जागरण करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भद्रकाली की पूजा करने से बुराई से सुरक्षा, साहस और आध्यात्मिक सशक्तिकरण मिलता है।
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