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Basant Panchami Vrat 2024 katha: बसंत पंचमी के दिन इस विधि से करें पूजा और पढ़े ये व्रत कथा

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Basant Panchami Vrat 2024 katha: हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Basant Panchami Vrat 2024 katha) को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को...
03:13 PM Feb 13, 2024 IST | Juhi Jha
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Basant Panchami Vrat 2024 katha: हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Basant Panchami Vrat 2024 katha) को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को...

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Basant Panchami Vrat 2024 katha: हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Basant Panchami Vrat 2024 katha) को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दौरान न तो ज्यादा ठंड होती है ना ही ज्यादा गर्मी, यही वजह है कि बसंत पंचमी को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा के दौरान मां सरसवती की व्रत कथा का पढ़ने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन के हर मोड़ पर सफलता मिलती है। आइए जानते है सरस्वती पूजा विधि और व्रत कथा:-

बसंत पंचमी व्रत कथा:-

पौराणिक ग्रंथों में कई बसंती पंचमी की कथाओं का वर्णन किया गया है। आज हम आपको उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण कथा का बताने जा रहे है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु, महेश और ब्रह्माजी को सृष्टि का रचियता माना जाता है। ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर मनुष्य योनि की रचना की। ऐसे में एक दिन जब ब्रह्माजी ब्रह्माण्ड के भ्रमण पर निकले तो उन्होंने महसूस किया कि पूरी पृथ्वी पर खामोशी छाई हुई है। तब उन्होंने भगवान विष्णु की आज्ञा लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का।

 

 

जल छिड़कते ही एक देवी अव​तरित हुई। उस देवी के छह भुजाएं थी जिसमें एक हाथ में पुष्प, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में कमंडल और बाकी के दो हाथों में वीणा व माला थी। इसके बाद ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने का आग्रह किया। तब​ उन्होंने वीणा बजाई। वीणा की आवाज सुन पृथ्वी के सभी जीव जंतुओं के बीच उत्सव जैसा माहौल बन गया। ब्रह्माजी ने उस देवी का नाम वाणी की देवी मां सरस्वती रखा। जिस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ वह दिन बसंत पंचमी का दिन था। इसलिए हर साल मां सरस्वती के जन्मदिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

मां सरस्वती पूजा विधि:-

 

 

बसंत पंचमी के दिन प्रात:स्नान कर एक चौकी बिछाए। फिर चौकी पर मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति की स्थापना करे। इसके बाद एक ​कलश स्थापित कर गणेश भगवान और नवग्रहों की विधिवत रूप से पूजा करे। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा करें। मां सरस्वती की पूजा के समय सर्वप्रथम मां की मूर्ति को स्नान कराए। फिर माला और फूल चढ़ाए। इसके बाद मां सरस्वती को सिंदुर और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करे। फिर मां के चरणों में गुलाल ​अर्पित करे। फिर मां को सफेद या पीले वस्त्र पहनाएं और पीले फल चढ़ाए। फलों के साथ ही मां को बूंदियां अर्पित करे और फिर मालपुए,खीर,मीठे चावल का भोग लगाए। फिर विधिवत रूप से सरस्वती मां व्रत कथा पढ़े और आरती कर पूजा का समापन करें।

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