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"मंदिर..पैसा..जमीन..सब देकर ठाकुर जी को कहीं और ले जाएंगे..." बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर गोस्वामी समाज की खुली चेतावनी!

बांके बिहारी मंदिर में नया ट्रस्ट और कॉरिडोर विवाद गहराया। गोस्वामी समाज ने मूर्ति लेकर मथुरा छोड़ने की धमकी दी। क्या बढ़ेगा टकराव?
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Banke Bihari Temple Controversy: मथुरा के विश्वप्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इन दिनों एक अनोखा विवाद छिड़ा हुआ है, जहां गोस्वामी समाज ने प्रशासन को ऐसी धमकी दी है जिसने सरकार से लेकर भक्तों तक सभी को हैरान कर दिया है। गोस्वामी समाज के लोगों ने साफ कह दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अपने इष्टदेव ठाकुर बांके बिहारी की मूर्ति को लेकर मथुरा छोड़कर चले जाएंगे। यह धमकी उन्होंने मंदिर परिसर में बन रहे नए कॉरिडोर और न्यास ट्रस्ट के गठन के विरोध में दी है। सवाल यह है कि आखिर क्यों गोस्वामी समाज सरकार के इस फैसले से इतना नाराज है? क्या यह विवाद सिर्फ ट्रस्ट को लेकर है या फिर इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक और धार्मिक खेल छिपा हुआ है?

गोस्वामी समाज क्यों नहीं चाहता सरकारी ट्रस्ट?

गोस्वामी समाज का कहना है कि बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन सदियों से उनके पूर्वजों के हाथों में रहा है और अब सरकार द्वारा बनाए गए नए ट्रस्ट में उन्हें हाशिए पर डाला जा रहा है। उनका आरोप है कि यह ट्रस्ट मंदिर के पारंपरिक प्रबंधन तंत्र को खत्म करने की साजिश है।

गोस्वामी समाज के प्रतिनिधियों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि हम मंदिर की जमीन और संपत्ति सरकार को देने को तैयार हैं, लेकिन ठाकुर बांके बिहारी हमारी निधि हैं। अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो हम भगवान की मूर्ति को लेकर यहां से चले जाएंगे। यह बयान उन्होंने जिलाधिकारी और एसएसपी के सामने बैठक के दौरान दिया, जहां प्रशासन ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन गोस्वामी समाज अपने रुख पर अड़ा रहा।

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर क्यों छिड़ी है जंग?

मामले की जड़ में मंदिर परिसर में बन रहा नया कॉरिडोर भी है, जिसे लेकर गोस्वामी समाज में गहरा असंतोष है। सरकार का कहना है कि यह कॉरिडोर भक्तों की सुविधा के लिए बनाया जा रहा है, लेकिन गोस्वामी समाज इसे मंदिर की पारंपरिक संरचना में दखलंदाजी मानता है। उनका तर्क है कि मंदिर का जो स्वरूप सदियों से चला आ रहा है, उसे बदलने का कोई अधिकार सरकार को नहीं है। इसी विवाद के चलते गोस्वामी समाज ने पलायन की धमकी तक दे डाली, जो दर्शाता है कि यह मामला सिर्फ इमारतों तक सीमित नहीं, बल्कि धार्मिक स्वायत्तता और सरकारी हस्तक्षेप के बीच टकराव का प्रतीक बन चुका है।

क्या बिहारी जी समेत गोस्वामी समाज वाकई मथुरा छोड़ जाएगा?

गोस्वामी समाज की पलायन की धमकी ने सभी को चौंका दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे वास्तव में ऐसा कर पाएंगे? इतिहास गवाह है कि बांके बिहारी मंदिर का संबंध गोस्वामी समाज के साथ सैकड़ों साल पुराना है और यह मंदिर न सिर्फ उनकी आस्था का केंद्र है, बल्कि उनकी पहचान भी है।

ऐसे में मूर्ति को लेकर पलायन करना कितना व्यावहारिक होगा, यह एक बड़ा सवाल है। हालांकि, गोस्वामी समाज ने इसे लेकर कोई समझौता नहीं करने का संकल्प जताया है। उनका कहना है कि अगर उन्हें मजबूर किया गया तो वे नए सिरे से कहीं और मंदिर बनाकर ठाकुर बांके बिहारी की पूजा जारी रखेंगे, जैसा कि उन्होंने अतीत में भी किया था।

सरकार और गोस्वामी समाज के बीच टकराव का कैसे होगा अंत?

यह विवाद अब सिर्फ एक मंदिर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सवाल उठा दिया है कि क्या सरकार को धार्मिक स्थलों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करना चाहिए? गोस्वामी समाज की पलायन की धमकी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। अब देखना यह है कि सरकार गोस्वामी समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए कोई मध्यमार्ग निकालेगी या फिर अपने फैसले पर अड़ी रहेगी। एक बात तो तय है कि अगर यह विवाद बढ़ता है तो इसका सीधा असर मथुरा की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर पड़ेगा, और बांके बिहारी के भक्तों की भावनाएं आहत होंगी।

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