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Amalaki Ekadashi Katha: आमलकी एकादशी के दिन अवश्य पढ़े ये व्रत कथा और जानें इस एकादशी का महत्व

Amalaki Ekadashi Katha: इस साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi Katha) 20 मार्च 2024 को मनाई जा रही है। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। य​ह दिन वैसे तो...
06:50 PM Mar 18, 2024 IST | Juhi Jha
Amalaki Ekadashi Katha: इस साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi Katha) 20 मार्च 2024 को मनाई जा रही है। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। य​ह दिन वैसे तो...

Amalaki Ekadashi Katha: इस साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi Katha) 20 मार्च 2024 को मनाई जा रही है। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। य​ह दिन वैसे तो भगवान विष्णु को समर्पित होता है लेकिन इस एकादशी में भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है और इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से एक हजार गौदान के फल के बराबर पुण्य मिलता है। लेकिन यह व्रत बिना व्रत कथा के अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए जानते है आमलकी एकादशी व्रत कथा :-

आमलकी एकादशी व्रत कथा:-

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक वैदिक नाम का नगर हुआ करता था। उस नगर पर चैत्ररथ नामक चंद्रवंशी राजा राज्य करते थे। राजा चैत्ररथ के राज में प्रजा काफी खुश थी। प्रजा के ​सभी लोग एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन किया करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन लोगों ने व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा की और रात में भजन कीर्तन कर रहे ​थे। तभी वहां से एक महापापी और दुराचारी शिकारी गुजर रहा ​था और वह श्राी वहां पर रूककर भगवान विष्णु की कथा तथा एकादशी का महात्म्य सुनने लगा। इस प्रकार उस शिकारी ने पूरी रात भगवान विष्णु की कथा और जागरण में गुजार दिया। अगले दिन वह शिकारी अपने घर को लौट गया और भोजन करके सो गया। लेकिन कुछ दिन बाद ही उसका निधन हो गया।

निधन के बाद शिकारी को अपने पापों के कारण नरक भोगना पड़ता। लेकिन अनजाने में आमलकी एकादशी की कथा सुनने और जागरण करने की वजह से उस शिकारी का राजा विदूरथ के घर जन्म हुआ। जिसका नाम वसुरथ रखा गया। एक दिन वसुरथ जंगल में भटक गया और थककर एक पेड़ के नीचे सो गया। कुछ देर बाद वसुरथ पर डाकुओं ने हमला कर दिया। लेकिन डाकुओं के अस्त्र शस्त्र का वसुरथ पर कोई असर नहीं हुआ और वह सोता ही रहा। जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग जमीन पर मृत पड़े है। जिसे देख वसुरथ समझ गया कि कुछ लोग उन्हें मारने के लिए आए थे। तभी आकाश में जोर की गर्जना हुई और आकाशवाणी हुई कि हे राजन भगवान विष्णु ने तुम्हारी रक्षा की है। तुमने पिछले जन्‍म में आमलकी एकादशी की व्रत कथा सुना था और यह उसी का प्रभाव है।

आमलकी एकादशी व्रत का महत्व:-

माना जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु ने ही जन्म दिया था और भगवान विष्णु को आंवला अतिप्रिय है। इस दिन विधि विधान के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। इसके अतिरिक्त इस दिन आंवला दान करने और खाने की भी सलाह दी जाती है। माना जाता है आमलकी एकादशी का व्रत करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और उनकी कृपा हमेशा जातक पर बनी रहती है। इस व्रत को करने मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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