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Aja Ekadashi Vrat 2025: आज रखा जाएगा अजा एकादशी का व्रत, जानें पारण का समय

एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
06:00 AM Aug 19, 2025 IST | Preeti Mishra
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
Aja Ekadashi Vrat 2025

Aja Ekadashi Vrat 2025: आज अजा एकादशी है। अजा एकादशी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला एक पवित्र व्रत है। लोग इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और पापों से मुक्ति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद प्राप्त (Aja Ekadashi Vrat 2025) करते हैं।

आज के दिन सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक उपवास करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे आत्मा शुद्ध होती है और शांति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि भक्तिपूर्वक अजा एकादशी (Aja Ekadashi Vrat 2025) का पालन करने से व्यक्ति पिछले कर्म ऋणों से मुक्त होता है और मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। विष्णु मंत्रों का जाप और पवित्र ग्रंथों का पाठ करने से इसके लाभ बढ़ जाते हैं।

अजा एकादशी पारण का समय

भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को शाम 05:22 मिनट पर होगा और इसका समापन 19 अगस्त को दोपहर 03:32 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, अजा एकादशी आज 19 अगस्त को मनाई जाएगी। जो लोग आज के दिन व्रत रखेंगे उनके लिए पारण का समय बुधवार 20 अगस्त को सुबह 05:40 बजे से सुबह 08:16 मिनट तक होगा।

हरि वासर के दौरान ना करें पारण

एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि का पहला एक चौथाई भाग होता है। हरि वासर द्वादशी तिथि का पहला एक चौथाई भाग होता है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।

आज के दिन ऐसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

व्रत रखें: सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक उपवास रखें। कुछ भक्त निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि अन्य फल और दूध ग्रहण करते हैं। अनाज, चावल और दालों से परहेज करें।
प्रातःकालीन अनुष्ठान: ब्रह्म मुहूर्त में उठें, पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष घी का दीपक जलाएँ।
पूजा: वेदी को फूलों और तुलसी के पत्तों से सजाएँ। पीले वस्त्र, चंदन का लेप, धूप और विष्णु जी की प्रिय मिठाई जैसे पंचामृत अर्पित करें।
मंत्र जाप: विष्णु सहस्रनाम, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या अन्य विष्णु स्तोत्रों का पाठ करें। दिन में निरंतर जाप करने से सकारात्मकता बढ़ती है।
अजा एकादशी व्रत कथा पढ़ें: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।
दान और सेवा: ज़रूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन दान करें। इस दिन गाय, कुत्ते या ब्राह्मण को भोजन कराने से आध्यात्मिक लाभ कई गुना बढ़ जाता है।
रात्रि जागरण: सोने के बजाय भजन गाएँ और भगवान विष्णु की स्तुति करें, जो पूर्ण भक्ति का प्रतीक है।

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