Ghatasthapana 2025: इस नवरात्रि घटस्थापना में इन पांच वस्तुओं को जरूर करें शामिल
Ghatasthapana 2025: शारदीय नवरात्रि माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित सबसे पवित्र हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार घटस्थापना से शुरू होता है, जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है, जो पूरे नवरात्रि के लिए आध्यात्मिक वातावरण तैयार (Ghatasthapana 2025) करता है।
लोगों का मानना है कि सही अनुष्ठानों के साथ घटस्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस अनुष्ठान के दौरान कुछ पवित्र वस्तुओं को आवश्यक माना जाता है। आइए जानें कि शारदीय नवरात्रि घटस्थापना 2025 (Shardiya Navratri 2025) में किन पाँच सबसे पवित्र वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए।
कलश
कलश या मिट्टी/धातु का बर्तन घटस्थापना का केंद्रबिंदु होता है। यह ब्रह्मांड और देवी दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक है। कलश को पवित्र जल, सुपारी, सिक्के और कभी-कभी गंगाजल से भरा जाता है। इसके ऊपर आम के पत्ते और लाल कपड़े में लिपटा एक नारियल रखा जाता है। फिर कलश को मिट्टी के एक छोटे से टीले पर स्थापित किया जाता है, जहाँ सात से नौ प्रकार के अनाज (नवधान्य) बोए जाते हैं, जो उर्वरता और वृद्धि का प्रतीक हैं। कलश के बिना घटस्थापना अधूरी मानी जाती है।
नारियल
कलश के ऊपर एक नारियल (श्रीफल) रखा जाता है और उसे लाल या पीले पवित्र कपड़े से लपेटा जाता है। यह समृद्धि, पवित्रता और देवी दुर्गा की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है। नारियल के तीन नेत्र अक्सर भगवान शिव के तीसरे नेत्र से जुड़े होते हैं, जो बुराई के विनाश और भक्तों की रक्षा का प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि शुद्ध, अखंडित नारियल चढ़ाने से परिवार में सफलता, खुशी और आशीर्वाद आता है।
आम के पत्ते
हिंदू परंपराओं में अत्यंत शुभ माने जाने वाले आम के पत्तों को कलश के मुख पर रखा जाता है। ये जीवन ऊर्जा (प्राण) और पवित्रता का प्रतीक हैं। इन्हें कलश पर रखने से सकारात्मकता बनी रहती है और घर से नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं। भक्तों का मानना है कि आम के पत्ते उर्वरता, स्वास्थ्य और समृद्धि का भी प्रतीक हैं, जो नवरात्रि के दौरान मांगे जाने वाले आशीर्वाद के अनुरूप हैं।
मिट्टी और जौ के बीज (नवधान्य)
घटस्थापना के दौरान स्वच्छ मिट्टी में जौ के बीज बोने की रस्म नवरात्रि पूजा का एक प्रमुख हिस्सा है। नौ दिनों तक इन बीजों का उगना एक दिव्य आशीर्वाद और समृद्धि का सूचक माना जाता है। कई भक्त बाद में अंकुरित जौ (जिसे खेतड़ी कहते हैं) को नदियों में विसर्जित कर देते हैं या देवी दुर्गा के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में घर पर रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि पवित्र मिट्टी और नवधान्य का उपयोग भक्त को प्रकृति की ऊर्जाओं से जोड़ता है।
चुनरी
कलश पर रखे नारियल को ढकने के लिए एक लाल कपड़ा, जिसे चुनरी या दुपट्टा भी कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है। लाल रंग ऊर्जा, शक्ति और भक्ति का प्रतीक है और इसका माँ दुर्गा से गहरा संबंध है। ऐसा माना जाता है कि देवी को लाल कपड़ा चढ़ाने से वे प्रसन्न होती हैं और घर में उनका आशीर्वाद आता है। कई भक्त नवरात्रि अनुष्ठानों के दौरान माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र पर ओढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त चुनरी भी रखते हैं।
यह भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2025 Flowers: नवरात्रि के नौ दिन, नौ देवियों को चढ़ाएं ये नौ फूल, माता होंगी प्रसन्न
.