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सीजफायर के बीच जम्मू कश्मीर सरकार का बड़ा कदम, LoC के पास बड़ी संख्या में बंकर बनाने का क्या है मकसद?

पाकिस्तान की गोलीबारी के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीमावर्ती गांवों में बंकर बनाने का फैसला लिया, कुपवाड़ा के नौगाम सेक्टर से शुरुआत हुई।
06:19 PM May 19, 2025 IST | Rohit Agrawal
पाकिस्तान की गोलीबारी के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीमावर्ती गांवों में बंकर बनाने का फैसला लिया, कुपवाड़ा के नौगाम सेक्टर से शुरुआत हुई।

भारत-पाकिस्तान सीमा पर हाल के दिनों में हुई भीषण गोलाबारी और तनाव के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक अहम फैसला लिया है। दरअसल सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब LoC के पास सामुदायिक बंकर बनाए जाएंगे। यह कदम उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नौगाम सेक्टर से शुरू हो चुका है, जहां पिछले सप्ताह पाकिस्तानी फायरिंग में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। स्थानीय लोगों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि अब उन्हें भविष्य में होने वाले संघर्षों के दौरान सुरक्षित शरण मिल सकेगी।

क्यों जरूरी हैं ये बंकर?

LoC के आसपास के गांवों के निवासी पिछले दो दशकों से पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी का दंश झेल रहे हैं। पिछले महीने हुए संघर्ष के दौरान कई परिवारों को रातोंरात अपने घर छोड़कर भागना पड़ा था। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि हमारे लिए यह बंकर जान बचाने वाली शरणस्थली साबित होंगे।

पाकिस्तान जब भी गोलाबारी शुरू करता है, हमारी जिंदगी दांव पर लग जाती है।" प्रशासन ने पहले चरण में सात बंकर बनाने का फैसला किया है, जिनकी मजबूत संरचना गोलाबारी और मोर्टार हमलों को झेलने में सक्षम होगी।

सीज़फायर से मिला सुरक्षा बढ़ाने का सुनहरा मौका

भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच फिलहाल सीजफायर लागू है, लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस शांति काल का फायदा उठाकर सीमा पर ढांचागत सुधार कर रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सोचा-समझा कदम है, क्योंकि पाकिस्तान कभी भी सीजफायर तोड़ सकता है। इसके अलावा, सिंधु जल संधि को लेकर चल रहा तनाव और पहलगाम आतंकी हमले के बाद का माहौल अभी भी शांत नहीं हुआ है। ऐसे में बंकरों का निर्माण नागरिकों को मनोवैज्ञानिक सुरक्षा भी प्रदान करेगा।

स्थानीय लोगों का क्या है कहना?

नौगाम सेक्टर के निवासियों ने इस फैसले को "जीवनरक्षक" बताया है। एक महिला ने कहा कि पिछली बार जब गोलाबारी हुई थी, तो हमें अपने बच्चों को लेकर खुले मैदान में भागना पड़ा था। अब हमारे पास सुरक्षित जगह होगी।" ग्राम प्रधान अब्दुल हमीद ने बताया कि बंकरों के निर्माण से पहले प्रशासन ने गांव वालों से सलाह भी ली थी। इन बंकरों में बिजली, पानी और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था भी रहेगी, ताकि आपात स्थिति में लोग कुछ दिनों तक वहां रह सकें।

क्या यह पर्याप्त है?

सुरक्षा विश्लेषक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) हर्ष कुलकर्णी का कहना है कि "बंकर एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में सिविल डिफेंस की और भी व्यापक योजना बनाने की जरूरत है।" उन्होंने सुझाव दिया कि गांवों में अर्ली वार्निंग सिस्टम और अंडरग्राउंड शेल्टर भी बनाए जाने चाहिए। साथ ही, स्थानीय लोगों को आपातकालीन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। एक बात स्पष्ट है कि भारत अब पाकिस्तान की किसी भी आक्रामक कार्रवाई के लिए पहले से तैयार रहना चाहता है।

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