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पैसा, प्यार और साइबर जाल: ISI कैसे फंसाती है भारतीयों को जासूसी के खतरनाक खेल में?

ISI भारत में पैसा, हनीट्रैप और सोशल मीडिया से लोगों को जासूसी में फंसा रही। ऑपरेशन मीर जाफर ने खतरनाक नेटवर्क का खुलासा किया।
04:02 PM May 24, 2025 IST | Rohit Agrawal
ISI भारत में पैसा, हनीट्रैप और सोशल मीडिया से लोगों को जासूसी में फंसा रही। ऑपरेशन मीर जाफर ने खतरनाक नेटवर्क का खुलासा किया।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने जासूसी का एक ऐसा जाल बुन रखा है जो पैसे के लालच से लेकर अकेलेपन की मार तक हर कमजोरी को अपना हथियार बनाता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने ऑपरेशन मीर जाफर चलाकर इस नेटवर्क को उजागर किया है, जिसमें पंजाब से लेकर दिल्ली तक 12 जासूस पकड़े जा चुके हैं। यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा से लेकर पाकिस्तानी दूतावास के दो अधिकारियों तक - यह कहानी सिर्फ गिरफ्तारियों की नहीं, बल्कि उन चालाक तरीकों की है जिनसे ISI भारतीयों को देशद्रोह के रास्ते पर धकेलती है।

कैसे 10,000 रुपये में बेच दी जाती है मातृभूमि?

ISI का सबसे आसान शिकार वे लोग होते हैं जो पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। मलेरकोटला की गुजाला और यामीन मोहम्मद ने सिर्फ 10,000-30,000 रुपये के लिए सेना की गतिविधियों की जानकारी पाकिस्तान को भेजी।

 

यही नहीं, गुरदासपुर के ड्रग तस्कर सुखप्रीत सिंह और करणबीर सिंह ने नशीले पदार्थों और हथियारों के बदले में संवेदनशील सैन्य जानकारियां लीक कीं। ISI जानती है कि भारत के सीमावर्ती इलाकों में गरीबी और बेरोजगारी का फायदा उठाकर आसानी से लोगों को फंसाया जा सकता है।

हनीट्रैप: जब प्यार बन जाता है देशद्रोह का हथियार

अगर पैसा काम न आए तो ISI प्यार के जाल में फंसाती है। हैदराबाद में सेना के एक सूबेदार को 'अनुष्का अग्रवाल' नाम की एक महिला ने फंसाया, जो असल में ISI की एजेंट थी। 10 लाख रुपये और अश्लील तस्वीरों के बदले उसने सेना के राज बेच डाले।

यही नहीं, इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास की माधुरी गुप्ता 'जिम' नाम के एक एजेंट के प्यार में इस कदर फंसी कि देश की सुरक्षा से जुड़े राज तक पाकिस्तान को बताने लगी। ISI की महिला एजेंट्स को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है कि कैसे सैन्य अधिकारियों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया जाए।

फेसबुक की दोस्ती कैसे बन जाती है जासूसी का जरिया?

सेजल कपूर नाम का एक फर्जी फेसबुक प्रोफाइल ISI का सबसे खतरनाक हथियार साबित हुआ। यूके की हेज एविएशन की कर्मचारी बताई जाने वाली इस एजेंट ने 98 से ज्यादा भारतीय अधिकारियों को मैलवेयर भरे ऐप डाउनलोड करवाए। ब्रह्मोस मिसाइल प्रोग्राम के इंजीनियर निशांत अग्रवाल जैसे लोग इसी जाल में फंसे। ISI के साइबर विशेषज्ञों ने इन अधिकारियों के कंप्यूटर हैक करके रक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेज चुरा लिए।

कैसे भारत ने ISI के जाल को किया तहस-नहस?

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ISI की इन हरकतों का माकूल जवाब दिया है। पंजाब पुलिस ने ड्रग तस्करी और जासूसी के जुड़े नेटवर्क को ध्वस्त किया है। यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा जैसे लोगों की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया कि सोशल मीडिया भी ISI का एक बड़ा अड्डा बन चुका है। पाकिस्तानी दूतावास के दो अधिकारियों को देश से निकालकर भारत ने साफ संदेश दिया है कि अब कोई भी जासूसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

 

क्या भारत जीतेगा यह जासूसी युद्ध?

ISI के जासूसी नेटवर्क को उजागर करना भारत की बड़ी सफलता है, लेकिन यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद और जासूसी को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाए रखेगा, तब तक भारत को सतर्क रहना होगा। आम नागरिकों को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं वे अनजाने में ISI के जाल में तो नहीं फंस रहे। क्योंकि इस जंग में हर भारतीय एक सैनिक है और हर मोर्चा महत्वपूर्ण!

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