इंडियन नेवी की शान बढ़ाएगा 5वीं सदी की तकनीक से निर्मित INSV कौंडिन्य, जानिए क्यों है इतना खास?
भारतीय नौसेना ने अपने बेड़े में एक ऐतिहासिक जहाज को शामिल करके देश की समृद्ध समुद्री विरासत को नई ऊर्जा दी है। INSV कौंडिन्य नामक यह अनोखा स्टिच्ड शिप बुधवार को करवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित भव्य समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में नौसेना का हिस्सा बन गया। यह जहाज नारियल के रेशों से बनी रस्सियों और लकड़ी से तैयार किया गया है, जो 5वीं सदी में भारतीय नाविकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का आधुनिक रूप है। इसका नाम प्राचीन भारतीय नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने हिंद महासागर पार कर दक्षिण-पूर्व एशिया तक की ऐतिहासिक यात्रा की थी।
प्राचीन तकनीक से कैसे बना माडर्न INSV कौंडिन्य?
INSV कौंडिन्य को बनाने की प्रक्रिया स्वयं में एक अनूठा प्रयोग है। दरअसल केरल के मास्टर शिपराइट बाबू शंकरन के नेतृत्व में कारीगरों की एक टीम ने सितंबर 2023 से हाथ से सिलाई की पारंपरिक विधि का उपयोग कर इस जहाज को तैयार किया। IIT मद्रास के समुद्र इंजीनियरिंग विभाग ने इस प्रोजेक्ट में तकनीकी सहायता प्रदान की।
जहाज के डिजाइन में अजंता की गुफाओं में चित्रित 5वीं सदी के पोतों को आधार बनाया गया है। फरवरी 2025 में गोवा से लॉन्च किए गए इस जहाज पर गंधभेरुंड और सूर्य की आकृतियां उकेरी गई हैं, जबकि इसकी नोक पर सिंह याली की मूर्ति लगाई गई है। हड़प्पा काल की शैली में बना प्रतीकात्मक लंगर इसकी ऐतिहासिक विरासत को और समृद्ध करता है।
क्या है कौंडिन्य का ऐतिहासिक महत्व?
बता दें कि इस जहाज का नामकरण प्राचीन भारतीय नाविक कौंडिन्य के नाम पर किया गया है, जिन्होंने हिंद महासागर को पार कर दक्षिण-पूर्व एशिया तक भारत के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों की नींव रखी थी। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह जहाज भारत की उस समृद्ध समुद्री परंपरा का प्रतीक है जब हमारे नाविक सिल्क रूट से भी पुराने समुद्री मार्गों पर व्यापार करते थे।
INSV कौंडिन्य न केवल एक युद्धपोत है बल्कि भारत की मैरीटाइम हिस्ट्री को जीवंत करने वाला एक चलता-फिरता संग्रहालय है। इसके पालों पर उकेरी गई कलाकृतियां और डेक पर लगा हड़प्पा शैली का पत्थर भारत की सांस्कृतिक निरंतरता को दर्शाते हैं।
इतिहास की तर्ज़ पर ओमान की यात्रा करेगा कौंडिन्य
नौसेना ने इस वर्ष के अंत में INSV कौंडिन्य को गुजरात से ओमान तक प्राचीन व्यापार मार्ग पर एक ट्रांस-ओशनिक यात्रा के लिए भेजने की योजना बनाई है। यह यात्रा उसी मार्ग का अनुसरण करेगी जिस पर कौंडिन्य ने सदियों पहले समुद्र पार किया था। नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि यह यात्रा न केवल भारत की समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करेगी बल्कि हमारे पूर्वजों की नौसैनिक कुशलता को भी श्रद्धांजलि होगी।" जहाज को करवार में तैनात किया जाएगा, जहां से यह अपनी ऐतिहासिक यात्रा शुरू करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य नौसैनिक इतिहास के प्रति युवाओं में रुचि जगाना और भारत की समुद्री शक्ति के ऐतिहासिक आयाम को रेखांकित करना है।
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