पाकिस्तान के न्यूक्लियर बेस पर हमला या कुछ और? भूकंप से दहशत, अमेरिका-मिस्र का प्लेन पहुंचा तो मची हलचल...क्या वाकई लीक रोकने की कोशिश?
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन की तीव्र सैन्य झड़प के बाद अमेरिकी मध्यस्थता से सीजफायर की घोषणा हुई, लेकिन इस शांति ने अपने पीछे कई सवालों को जन्म दे दिया है।दअरसल अमेरिका की पलटीमार एंट्री हो या आक्रामक दिख रहे भारत का अचानक नरम पड़े तेवरों ने दुनिया को पहले ही शंका में डाल दिया था। अब कुछ विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सोशल मीडिया पर कुछ विश्लेषको द्वारा दावा किया जा रहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने न केवल आतंकी ठिकानों, बल्कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार भंडार पर भी प्रहार किया है।10 मई की वह भयावह सुबह जब पाकिस्तान के सरगोधा स्थित मुशाफ एयरबेस और किराना हिल्स की परमाणु सुविधा के पास भारत के सटीक हमलों ने इतिहास के सबसे संवेदनशील सैन्य संकटों में से एक को जन्म दे दिया है। इस बीच पाक एयरोस्पेस में अमेरिकी विशेष विमानों की आवाजाही, अचानक आया भूकंप और मिस्र से आए रहस्यमयी विमान - ये सभी संकेत एक भयानक सच की ओर इशारा करते हैं जिसे शायद छिपाने की भरपूर कोशिश की जा रही है।
क्या है वो किराना हिल्स जिसके समीप भारत ने की थी स्ट्राइक?
बता दें कि सरगोधा जिले में स्थित किराना हिल्स लंबे समय से पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम का केंद्र रहा है। इस पहाड़ी क्षेत्र में बनी विशाल सुरंगों और भूमिगत सुविधाओं में पाकिस्तान ने अपने परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षित रखा हुआ था। 10 मई को भारतीय सेना द्वारा किए गए ब्रह्मोस मिसाइलों से सटीक प्रहार इसी क्षेत्र के आसपास हुए थे।
हालांकि सेना ने ऐसी कोई भी कारवाई से अभी तक इनकार किया है। लेकिन उपग्रह चित्रों और खुफिया सूत्रों के अनुसार, इन हमलों ने संभवतः न्यूक्लियर सेंटर के वेंटिलेशन सिस्टम को पूरी तरह नष्ट कर दिया हो। विशेषज्ञों का मानना यह भी है कि यह हमला इतना प्रभावी रहा कि संभवतः कुछ परमाणु सामग्री का रिसाव भी हुआ हो।
भूकंप या न्यूक्लियर ब्लास्ट: क्या हुआ था दोपहर 2 बजे?
सीजफायर होने से पहले 10 मई को दोपहर करीब 2 बजे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 4.0 तीव्रता का एक अजीबोगरीब भूकंप दर्ज किया गया। यह भूकंप सामान्य टेक्टोनिक गतिविधि से अलग था और इसका केंद्र किराना हिल्स के निकट था। परमाणु विशेषज्ञों ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी संगठनों के पूर्व अधिकारियों का मानना है कि यह कोई सामान्य भूकंप नहीं, बल्कि भूमिगत परमाणु सामग्री के अस्थिर होने से हुई कोई घटना थी। इसी समय के आसपास पाकिस्तानी सेना के कुछ इलाकों से रेडियोएक्टिव विकिरण की अधिक मात्रा की रिपोर्ट्स भी सामने आईं, जिसने इस सिद्धांत को और मजबूत किया।
अमेरिका और मिस्र की रहस्यमयी उड़ानें: क्या था मकसद?
बता दें कि 11 मई को पाकिस्तानी एयरस्पेस में दो अत्यंत असामान्य विमानों की आवाजाही ने इस मामले में नया मोड़ ला दिया है। सबसे पहले अमेरिकी पंजीकरण संख्या N111SZ वाला एक विशेष विमान इस्लामाबाद पहुंचा। यह विमान अमेरिकी ऊर्जा विभाग से जुड़ा हुआ है जो परमाणु आपात स्थितियों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसके ठीक बाद मिस्र की वायुसेना का EGY1916 विमान भी पाकिस्तान पहुंचा।
परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि यह विमान बोरॉन लेकर आया होगा। एक ऐसा तत्व जो परमाणु रिसाव को नियंत्रित करने में प्रयुक्त होता है। ये दोनों विमान किराना हिल्स के ऊपर असामान्य उड़ान भरते रहे, जो इस बात का स्पष्ट संकेत था कि वहां कुछ गंभरा हुआ था।
अचानक सीजफायर का रहस्य: क्या अमेरिका ने थामा युद्ध का डंका?
10 मई की शाम 5 बजे अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा की। यह घोषणा उस समय की गई जब भारत को युद्ध में स्पष्ट बढ़त हासिल कर ली थी। अमेरिकी प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय एक "गंभीर खुफिया रिपोर्ट" के आधार पर लिया गया था। अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञों का मानना है कि किराना हिल्स में हुए नुकसान और संभावित परमाणु रिसाव की जानकारी मिलने के बाद अमेरिका ने यह कदम उठाया। यह भी संभावना जताई जा रही है कि भारत ने अमेरिका को सूचित किया था कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ा तो उसकी अन्य परमाणु सुविधाएं भी निशाने पर होंगी।
क्या भारत की स्ट्राइक में पाक के परमाणु हुए नष्ट?
इस पूरे घटनाक्रम में एकमात्र स्पष्ट तथ्य यह है कि किराना हिल्स सुविधा या उसके आसपास सेंटर को भारी नुकसान पहुंचा है। भारतीय वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर इस ऑपरेशन की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सैन्य सूत्रों का कहना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। पाकिस्तानी सेना ने भी इस मामले में पूर्ण मौन साध रखा है, जो कि उनके लिए असामान्य है।
अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का मानना है कि यदि वास्तव में परमाणु सामग्री का रिसाव हुआ है तो यह पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर सकता है। फिलहाल, दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के बावजूद, किराना हिल्स की घटना आने वाले समय में और जांच की मांग करती है। एक ऐसी जांच जो शायद कभी पूरी तरह सामने न आ पाए।
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