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सूरत में साइबर क्राइम का बड़ा खुलासा, 112 करोड़ रुपये का धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़

सूरत पुलिस ने एक बड़े साइबर क्राइम गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो भारतीयों को धोखाधड़ी के जाल में फंसाकर उनके बैंक खातों का इस्तेमाल करता था।
03:56 PM Nov 12, 2024 IST | Vibhav Shukla

सूरत: सूरत के सरथाना इलाके में साइबर क्राइम के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है, जिसमें पुलिस ने 22 अक्टूबर को तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया और मामले के मुख्य आरोपी हिरेन बाबरिया को मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरोह भारतीयों को साइबर धोखाधड़ी के जाल में फंसाता था और उनके बैंक खातों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करता था।

सूरत साइबर क्राइम का बड़ा खुलासा

सूरत पुलिस ने जून महीने में एक बड़े साइबर क्राइम नेटवर्क का पर्दाफाश किया था। इस मामले में आठ लोगों को पहले गिरफ्तार किया गया था और कई अन्य को वांटेड घोषित किया गया था। यह गिरोह सूरत से लेकर दुबई तक फैला हुआ था, और सूरत साइबर क्राइम टीम मामले की गहनता से जांच कर रही थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि गिरोह का मुख्य आरोपी हिरेन बाबरिया दुबई भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने मुंबई एयरपोर्ट पर उसे गिरफ्तार कर लिया, और उसे सूरत ले आई।

गिरोह का नेटवर्क और फर्जी अकाउंट्स

इस पूरे मामले में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह सूरत और दुबई में मिलकर भारतीयों को साइबर फ्रॉड का शिकार बनाता था। यह गिरोह भारतीयों को अपनी जालसाजी के नेटवर्क में फंसाकर उनके बैंक अकाउंट्स और सिम कार्ड्स किराए पर लेता था। इनका सरगना अजय इटालिया था, जो इन अकाउंट्स को दुबई भेजने का काम करता था। जालसाजी के इस पूरे नेटवर्क में दुबई में बैठे मिलन वाघेला और जगदीश अजुडिया भी शामिल थे। ये लोग चाइनीज गैंग से जुड़े हुए थे और भारतीयों के बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल कर पैसा दुबई भेजते थे।

सूरत पुलिस ने मामले की जांच के दौरान 630 जाली बैंक अकाउंट्स का पता लगाया, जिनके माध्यम से करीब 112 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ था। यह धोखाधड़ी मुख्य रूप से डिजिटल फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी के जरिए की जा रही थी।

डिजिटल अरेस्ट का नया तरीका

सूरत पुलिस के मुताबिक, देशभर में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी या आयकर विभाग के अधिकारी बताकर लोगों को ब्लैकमेल करते हैं और उनके बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे मामलों में, पुलिस ने इन फर्जी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। सूरत पुलिस ने बताया कि उन लोगों से पूछताछ की जा रही है, जिनके बैंक अकाउंट्स इस जालसाजी में इस्तेमाल हुए थे, ताकि इन नकली अधिकारियों की पहचान की जा सके और उन्हें गिरफ्तार किया जा सके।

सूरत पुलिस ने इस गिरोह के खिलाफ चार मुकदमे दर्ज किए हैं और अब तक 866 शिकायतें नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर प्राप्त हो चुकी हैं। इन शिकायतों में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र से हैं, जहां 171 लोग इस धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। इसके अलावा कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से भी कई शिकायतें आई हैं।

देशभर में साइबर फ्रॉड का शिकार हुए लोग

सूरत साइबर क्राइम की टीम ने पाया कि इस गिरोह ने जो जाली बैंक अकाउंट्स बनवाए थे, उनका इस्तेमाल पूरे देशभर में किया गया। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोग इस जालसाजी का शिकार हुए हैं, उसके बाद कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, और पश्चिम बंगाल में भी बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार हुए हैं। अब तक पूरे देश में 200 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, और पुलिस की जांच जारी है।

सूरत पुलिस का बयान 

सूरत पुलिस कमिश्नर अनुपम गहलोत ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गिरोह एक संगठित अपराध (ऑर्गेनाइज्ड क्राइम) है। उन्होंने बताया कि इस गिरोह के सदस्यों ने भारतीयों के बैंक अकाउंट्स किराए पर लेकर और धोखाधड़ी के अन्य तरीकों से एक बड़ा साइबर फ्रॉड किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस गिरोह के खिलाफ आने वाले समय में सख्त कार्रवाई की जाएगी, और इस मामले में गुजसिटोक (GUJSITOC) कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

गुजसिटोक एक विशेष कानून है, जो संगठित अपराधों और आतंकवाद से निपटने के लिए लागू किया गया था। पुलिस ने कहा कि इस गिरोह के खिलाफ अब तक जो सबूत सामने आए हैं, उससे यह स्पष्ट है कि यह गिरोह एक संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहा था, और इसे खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

सूरत से हिन्द फर्स्ट के लिए अमित राजपूत की रिपोर्ट

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