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ट्रंप टैरिफ से आपने किचन पर क्या होगा असर, बढ़ेंगे दाम या घट जायेगा खर्चा? जानें पूरी डिटेल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संसद में ऐलान किया कि वह 2 अप्रैल से भारत पर 'जैसे को तैसा टैरिफ' लागू करेंगे।
04:26 PM Mar 09, 2025 IST | Vyom Tiwari

आपने शायद कभी सोचा भी नहीं होगा कि अमेरिका के ‘ट्रंप टैरिफ’ का आपकी किचन से कोई लेना-देना हो सकता है। लेकिन अगर डोनाल्ड ट्रंप अपने नए टैरिफ प्लान को लागू करते हैं, तो हो सकता है कि आपके किचन का खर्च कुछ कम हो जाए। आइए समझते हैं कैसे।

दरअसल, हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी संसद में कहा कि भारत जैसे देश अमेरिकी कारों और दूसरे प्रोडक्ट्स पर बहुत ज्यादा टैरिफ (आयात शुल्क) लगाते हैं, कई बार तो 100% तक। इसलिए, वे भी भारत से आने वाले सामानों पर वैसा ही टैरिफ लगाएंगे, जैसा भारत अमेरिका पर लगाता है। इसे ही ‘जैसे को तैसा टैरिफ’ (Reciprocal Tariffs) कहा जा रहा है।

अब सवाल उठता है कि भारत अमेरिका से क्या-क्या सामान मंगाता है और इस टैरिफ का आपकी किचन से क्या संबंध है? आइए इस पर एक नजर डालते हैं…

भारत का अमेरिका से 40.7 अरब डॉलर का हुआ आयात

भारत अमेरिका से कई चीजें खरीदता है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका से करीब 40.7 अरब डॉलर का सामान मंगाया। इसमें करीब 5,749 तरह की चीजें शामिल थीं। भारत ज्यादातर पेट्रोलियम, नेचुरल गैस, कीमती पत्थर, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर्स, इलेक्ट्रॉनिक मशीनें और कई तरह के कृषि उत्पाद (एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स) इंपोर्ट करता है। खास बात यह है कि इन्हीं कृषि उत्पादों के आयात में आपकी रसोई का खर्चा कम करने का एक आसान तरीका छिपा है!

भारत में अमेरिका से बढ़ता कृषि उत्पादों का आयात  

साल 2024 में भारत ने अमेरिका से कुल 1.6 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद आयात किए। इसमें सबसे ज्यादा बादाम (86.8 करोड़ डॉलर), पिस्ता (12.1 करोड़ डॉलर) और सेब (2.1 करोड़ डॉलर) शामिल हैं। इसके अलावा, भारत मसूर दाल भी बड़ी मात्रा में अमेरिका से खरीदता है, हालांकि इस पर ज्यादा टैरिफ नहीं लगाया जाता।

अमेरिका क्यों चाहता है भारत में अपना बाजार?  

अमेरिका अपने कृषि उत्पादों की मांग भारत जैसे देशों में बढ़ाना चाहता है, क्योंकि वहां सरकार किसानों को भारी सब्सिडी देती है। अमेरिका में चावल पर 82%, कनोला पर 61%, चीनी पर 66%, कपास पर 74% और ऊन पर 215% तक सब्सिडी दी जाती है। इन फसलों के लिए अमेरिका को बड़े बाजार की जरूरत होती है, और भारत एक बड़ा उपभोक्ता देश है।

अमेरिका लंबे समय से भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह अपने डेयरी प्रोडक्ट्स के बाजार को खोले। लेकिन भारत इस पर सहमत नहीं है, क्योंकि जर्सी गायों को दिए जाने वाले चारे में मांसाहार शामिल होता है, और ऐसे दूध को भारत में आयात नहीं किया जाता। हालांकि, भारत का मशहूर ब्रांड अमूल खुद अमेरिका में दूध बेचता है।

फिलहाल, भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ (कर) लगाकर उन्हें महंगा बनाता है, जिससे एक तरफ उन प्रोडक्ट्स की बिक्री पर असर पड़ता है और दूसरी तरफ देश के करोड़ों लोगों की आजीविका सुरक्षित रहती है। लेकिन अगर भारत, अमेरिका के दबाव में आकर टैरिफ कम कर देता है, तो वहां की सरकार द्वारा दी जाने वाली भारी सब्सिडी के कारण अमेरिकी कृषि उत्पाद बेहद सस्ते हो जाएंगे और भारतीय बाजार में उनकी भरमार हो जाएगी।

हम पहले ही कैलिफोर्निया बादाम के मामले में इसका असर देख चुके हैं, जहां सस्ते दामों पर अमेरिकी बादाम आने से भारतीय किसानों को नुकसान हुआ था। यही हाल अन्य कृषि उत्पादों के साथ भी हो सकता है।

रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत खोज रहा हल 

भारत में इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से 'जैसे को तैसा टैरिफ' नीति लागू करते हैं, तो भारत कैसे प्रतिक्रिया दे सकता है। सरकार इस पर दो तरह से विचार कर रही है। पहला, उन प्रोडक्ट्स की लिस्ट तैयार की जा रही है, जिन पर अमेरिकी सामानों के लिए टैक्स कम किया जा सकता है। दूसरा, अमेरिका को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का दर्जा देने पर विचार हो रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच कम टैक्स पर व्यापार आसान हो सकता है।

 

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