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ED ने Paytm को भेजा नोटिस! 611 करोड़ के लेन-देन पर बड़ा हेर-फेर

Paytm ने कहा है कि वे कानून और नियमों के मुताबिक इस मामले को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। कंपनी कानूनी सलाह ले रही है।
04:40 PM Mar 02, 2025 IST | Vyom Tiwari
Paytm ने कहा है कि वे कानून और नियमों के मुताबिक इस मामले को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। कंपनी कानूनी सलाह ले रही है।
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Paytm की मालिक कंपनी वन97 कम्यूनिकेशन लिमिटेड (OCL) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नोटिस भेजा है। यह नोटिस 611 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन से जुड़ा है। कंपनी पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन का आरोप है।

यह मामला OCL की दो सहायक कंपनियों के अधिग्रहण से जुड़ा है लिटिल इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड (LIPL) और नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (NIPL)

क्या है पूरा मामला?

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, OCL ने इस नोटिस की जानकारी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को दी है। कंपनी का कहना है कि 28 फरवरी को उसे यह नोटिस मिला, जिसमें OCL, उसकी दोनों सहायक कंपनियों, कुछ वर्तमान और पूर्व डायरेक्टर्स और अधिकारियों को निशाना बनाया गया है।

ED की यह कार्रवाई 2015 से 2019 के बीच हुए लेन-देन से जुड़ी है। एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, कुल 611.17 करोड़ रुपये के लेन-देन में से सबसे बड़ा हिस्सा, यानी 344.99 करोड़ रुपये, LIPL के इन्वेस्टमेंट ट्रांजैक्शंस से जुड़ा है। इसके अलावा, 245.20 करोड़ रुपये OCL से जुड़े हैं और बाकी 20.97 करोड़ रुपये NIPL से संबंधित हैं। आसान भाषा में कहें तो, एक्सचेंज फाइलिंग का मतलब है कि कंपनियां अपने बिजनेस से जुड़ी अहम जानकारी शेयर बाजार को देती हैं।

ग्राहकों के उपर क्या होगा असर?

OCL ने सफाई दी है कि जिन ट्रांजैक्शंस को लेकर उन्हें नोटिस मिला है, वो उस समय के हैं जब LIPL और NIPL उनकी कंपनियां नहीं थीं। OCL ने इन दोनों कंपनियों को साल 2017 में खरीदा था।

कंपनी ने अपनी फाइलिंग में कहा कि वे कानून और रेगुलेटरी प्रक्रिया के तहत इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। वे कानूनी सलाह ले रहे हैं और आगे के कदमों पर विचार कर रहे हैं। OCL ने भरोसा दिलाया कि पेटीएम की सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी और ग्राहकों व व्यापारियों को कोई दिक्कत नहीं होगी।

बता दें कि FEMA (Foreign Exchange Management Act) भारत में विदेशी लेन-देन पर नजर रखने के लिए बना कानून है। इसे 1999 में पास किया गया था और 1 जून 2000 से लागू किया गया। अगर किसी विदेशी लेन-देन में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो ED (Enforcement Directorate) जांच कर सकती है, नोटिस भेज सकती है और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई व जुर्माना भी लगा सकती है।

 

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