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जानिए क्यों बेंगलुर की कोर्ट ने निर्मला सीतारमण के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया

बेंगलुरु की जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश निर्मला सीतारमण द्वारा चुनावी बांडों के माध्यम से जबरन वसूली के आरोपों के मामले में दिया है।
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बेंगलुरु की जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश निर्मला सीतारमण द्वारा चुनावी बांडों के माध्यम से जबरन वसूली के आरोपों के मामले में दिया है।

किसने की शिकायत?

निर्मला सीतारामन और अन्य के खिलाफ यह शिकायत जनाधिकार संघर्ष संगठन के आदर्श अय्यर ने से की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि चुनावी बांडों के माध्यम से निर्मला सीतारमण और अन्य लोगों ने जबरन वसूली की। इसके बाद बेंगलुरु की जनप्रतिनिधियों (People's Representatives) के लिए विशेष अदालत ने इस मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस ने निर्मला सीतारामन और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड को बताया था असंवैधानिक

Supreme Court

बता दें कि इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड को असंवैधानिक कहते हुए कहा था कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।

2018 में चुनावी बॉड योजना लेकर आई थी सरकार

केंद्र सरकार ने 2018 में इस योजना को पेश किया था, जिसका उद्देश्य राजनीतिक पार्टियों को नकद दान की जगह बॉड के जरिए दान देने की व्यवस्था करनी थी। जिससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता आएगी और पता चल सकेगा की किसने किस पार्टी को कितना दान दिया।

सिद्धारमैया ने सीतारामन से इस्तीफे की मांग की

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारामन से इस्तीफे की मांग की और कहा कि इस मामले में एक रिपोर्ट तीन महीनों के भीतर प्रस्तुत की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ''अब भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A के अनुसार, जांच पूरी की जानी चाहिए और तीन महीनों के भीतर एक रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए।''

सिद्धारमैया ने कहा, "मेरे मामले में निचली अदालत ने एक आदेश पारित किया है। गवर्नर ने धारा 17A के तहत जांच के लिए कहा है और अदालत ने निर्देश दिया है कि जांच पूरी की जाए और तीन महीनों के भीतर एक रिपोर्ट पेश की जाए।"

ये भी पढ़ेंः कर्नाटक के CM सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें, भ्रष्ट्राचार निरोधक निकाय ने दर्ज की FIR

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