IT Return 2025: ITR-1 और ITR-4 फॉर्म हुए रिलीज़, जानिए आपको कौनसा फॉर्म भरना है
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR-1 और ITR-4 Excel Utilities जारी कर दी हैं। अब टैक्सपेयर्स अपने इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन या एक्सेल फॉर्मेट में फाइल कर सकते हैं। इस बार रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 रखी गई है, जो पहले 31 जुलाई थी।
ITR-1 (सहज) किसके लिए है?
अगर आप नौकरीपेशा हैं, या आपकी कमाई सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी से रेंट और कुछ सीमित ब्याज इनकम तक सीमित है, तो ITR-1 फॉर्म आपके लिए है।
- योग्यता: रेजिडेंट इंडिविजुअल जिनकी कुल इनकम ₹50 लाख या उससे कम हो।
- शामिल इनकम: सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी से रेंट, ब्याज, सेक्शन 112A के तहत ₹1.25 लाख तक का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन, और ₹5,000 तक की एग्रीकल्चर इनकम।
ITR-4 (सुगम) किनके लिए है?
अगर आप छोटा बिजनेस या कोई प्रोफेशन (जैसे फ्रीलांसिंग, डॉक्टर, वकील आदि) करते हैं, तो ITR-4 फॉर्म आपके लिए बना है।
- योग्यता: रेजिडेंट इंडिविजुअल, HUF और फर्म (LLP को छोड़कर), जिनकी इनकम ₹50 लाख से कम हो।
- कैल्कुलेशन मेथड: आपकी इनकम का कैलकुलेशन सेक्शन 44AD, 44ADA, या 44AE के तहत होता हो।
- शामिल इनकम: ₹1.25 लाख तक का LTCG (112A के तहत), अन्य नियमित इनकम।
रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन और देरी पर पेनल्टी
इस साल रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन को बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है। इस फैसले से टैक्सपेयर्स को तैयारी का अतिरिक्त समय मिलेगा।
अगर रिटर्न समय पर नहीं फाइल किया गया तो:
- ₹5 लाख तक इनकम वालों को ₹1,000 की लेट फाइन।
- ₹5 लाख से ऊपर इनकम वालों पर ₹5,000 की पेनाल्टी।
साथ ही, किसी तरह का बिजनेस लॉस या कैपिटल लॉस आगे कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा। बकाया टैक्स पर सेक्शन 234A के तहत 1% प्रति माह ब्याज भी देना होगा।
ई-फाइलिंग यूटिलिटी क्या है और क्यों जरूरी है?
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए डिपार्टमेंट की ओर से खास e-filing utilities दी जाती हैं। ये दो मुख्य फॉर्मेट में उपलब्ध होती हैं:
- ऑनलाइन यूटिलिटी: यह अधिकतर सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए होती है। इसमें डेटा पहले से भरा होता है जिससे फाइलिंग आसान हो जाती है।
- Excel और JSON यूटिलिटी: यह टैक्स प्रोफेशनल्स द्वारा उपयोग की जाती है, जहां डेटा ऑफलाइन भरकर पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
इन टूल्स के बिना रिटर्न फाइल करना संभव नहीं है, क्योंकि ये फॉर्म की वैलिडेशन और सबमिशन में मदद करते हैं।
एक्सटेंशन से टैक्सपेयर्स को राहत
सीए के अनुसार, पोर्टल पर जरूरी डेटा और AIS सही से उपलब्ध न होने के कारण टैक्सपेयर्स को दिक्कतें आ रही थीं। डेडलाइन बढ़ने से प्रोफेशनल्स और आम लोगों दोनों को तैयारी के लिए ज्यादा समय मिला है, जिससे रिटर्न फाइलिंग बिना किसी हड़बड़ी के की जा सकेगी। अगर आपकी इनकम ₹50 लाख से कम है और आप योग्य कैटेगरी में आते हैं, तो ITR-1 या ITR-4 के जरिए अपनी फाइलिंग जरूर समय पर पूरी करें। ई-फाइलिंग यूटिलिटीज अब उपलब्ध हैं, और डिपार्टमेंट ने सभी को 15 सितंबर तक की मोहलत दी है।
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