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ITR फाइल करने से पहले इन 2 बातों का जरूर रखें ध्यान, नहीं तो फंस सकता है आपका रिफंड!

जुलाई का महीना आते ही हर टैक्सपेयर्स के मन में एक ही बात घूमती है—ITR फाइल करना। वैसे तो आखिरी तारीख 31 जुलाई है, लेकिन अगर आप इसे टालते हैं या जल्दबाज़ी में फॉर्म भरते हैं, तो हो सकता है...
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जुलाई का महीना आते ही हर टैक्सपेयर्स के मन में एक ही बात घूमती है—ITR फाइल करना। वैसे तो आखिरी तारीख 31 जुलाई है, लेकिन अगर आप इसे टालते हैं या जल्दबाज़ी में फॉर्म भरते हैं, तो हो सकता है आपका रिफंड अटक जाए या फिर आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस भी आ सकता है।

तो सवाल उठता है—गलतियाँ कैसे टाली जाएं?

जवाब है: ITR भरने से पहले दो बेहद जरूरी दस्तावेज़ जरूर जांचें—Form 26AS और AIS (Annual Information Statement)।

1. Form 26AS – आपका टैक्स मिरर

Form 26AS वो आईना है जिसमें आपकी पूरे साल की टैक्स जानकारी झलकती है। इसमें निम्न डिटेल्स होती हैं:

  • आपके नाम पर कटे TDS (Tax Deducted at Source) की पूरी डिटेल
  • जमा किया गया एडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स
  • टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की जानकारी
  • अगर आपको रिफंड मिला है तो उसकी पुष्टि

यह फॉर्म PAN कार्ड से लिंक होता है और इसे आप इनकम टैक्स की वेबसाइट से बड़ी आसानी से देख सकते हैं। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय यह ज़रूरी है कि आपके द्वारा डाला गया TDS, फॉर्म 26AS में दिख रहे TDS से पूरी तरह मेल खाता हो। ज़रा-सी गड़बड़ी आपके रिफंड को अटका सकती है।

मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला

2. AIS – हर छोटी-बड़ी डील की निगरानी

Annual Information Statement (AIS) को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 2021 में लॉन्च किया ताकि टैक्सपेयर्स को एक क्लिक में पता चल सके कि सरकार उनके बारे में क्या-क्या जानती है।

AIS दो भागों में बंटा होता है:

  1. Part A – आपकी बेसिक जानकारी: PAN, Aadhaar, मोबाइल नंबर, जन्मतिथि, पता वगैरह।
  2. Part B – आपकी फाइनेंशियल एक्टिविटी का पूरा रिकॉर्ड, बैंक अकाउंट में हुए कुल ट्रांजैक्शन, शेयर बाजार में निवेश, क्रेडिट कार्ड खर्च, प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त और 50,000 रुपये से अधिक के इंश्योरेंस प्रीमियम तक की जानकारी शामिल है।

यहां सबसे ज्यादा ध्यान इस बात का रखना होता है कि AIS में दिख रही जानकारी को अपने ITR में भरे डेटा से मिलाना बेहद जरूरी है, ताकि डिपार्टमेंट को कोई शक की गुंजाइश न मिले। ऐसा नहीं होने पर बाद में यूजर के लिए समस्याओं का कारण बन सकता है।

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