जब शिव ने असुरों का संहार कर करी देवताओं की रक्षा
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एक बार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया।
असुरों की शक्ति इतनी बढ़ गई कि देवता पराजित होने लगे। सभी घबराकर भगवान विष्णु के पास पहुँचे।
विष्णुजी बोले, "सिर्फ एक ही हैं जो इस संकट का हल निकाल सकते हैं – महादेव!"
देवता कैलाश पहुँचे और बोले, "प्रभु, हमें बचाइए !" महादेव मुस्कुराए और अपनी तीसरी आँख खोली।
शिवजी ने भयानक तांडव किया, जिससे सृष्टि गूँज उठी और असुर भय से कांपने लगे।
शिवजी की ऊर्जा से असुरों का अहंकार भस्म हो गया, और देवताओं को विजय मिली।
शिव सबसे महान क्यों?
शिव न भयभीत होते हैं, न घृणा करते हैं। वे प्रेम, त्याग और विनाश के संतुलन के प्रतीक हैं।
"देवों के देव, महादेव!"
यही कारण है कि वे सबसे महान हैं—शिव ही संहारक और पालनहार हैं!
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