जब मनमोहन सिंह ने अपनी कविताओं से दिया विरोधियों को करारा जवाब

डॉ. मनमोहन सिंह, एक महान नेता होने के साथ, अपने भावनात्मक कविताओं के लिए भी जाने जाते थे।

हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं, तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख।

हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं, अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं।

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।

अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।

सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।

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