दिल तोड़ने वालों को दे, ग़ालिब के यह बेहतरीन जवाब ......

टूटे दिल की पुकार...

"हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,

बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले।"

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों,

रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों?

इश्क़ पर ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश 'ग़ालिब',

कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।

कोई उम्मीद बर नहीं आती, कोई सूरत नजर नहीं आती।

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,

दिल के बहलाने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।

ग़ालिब इश्क़ की दीवानगी और जुनून की बात करते हैं।आपका पसंदीदा ग़ालिब शेर कौन सा है?

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