क्या आप जानते हैं? शिव और सती की कहानी

शिव और सती की प्रेम कहानी अटूट प्रेम और समर्पण की मिसाल है। आइए जानते हैं उनकी अद्भुत प्रेमगाथा।

सती, प्रजापति दक्ष की पुत्री, बचपन से ही शिव को अपना आराध्य मानती थीं। उन्होंने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की।

सती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उनसे विवाह किया। यह विवाह प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गया।

दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया। सती ने अपने पिता के इस अपमान को सहन नहीं किया।

पिता के अपमान से आहत सती ने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। यह घटना शिव के लिए असहनीय थी।

सती के आत्मदाह से क्रोधित शिव ने तांडव नृत्य किया और दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया। 

सती ने पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया और फिर से शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की।

पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उनसे विवाह किया। यह मिलन शिव-शक्ति के एक होने का प्रतीक है।


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