Vitamin D deficiency: शरीर में दिख रहे ये लक्षण विटामिन डी की कमी के हैं संकेत, ऐसे करें दूर
Vitamin D deficiency: विटामिन डी, जिसे अक्सर "धूप का विटामिन" कहा जाता है, हड्डियों की मज़बूती, इम्यून सिस्टम और संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, बदलती जीवनशैली, धूप में कम समय बिताने और खराब खान-पान के कारण, विटामिन डी की कमी एक व्यापक चिंता का विषय बन गई है, खासकर शहरी आबादी में।
चिंताजनक बात यह है कि बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि उनका शरीर विभिन्न शारीरिक लक्षणों के माध्यम से इस कमी का संकेत दे रहा है। आइये जानते हैं विटामिन डी की कमी के सामान्य लक्षणों, इसके संभावित स्वास्थ्य जोखिमों और इससे निपटने के प्रभावी तरीकों के बारे में।
विटामिन डी क्या है और यह क्यों ज़रूरी है?
विटामिन डी एक वसा में घुलनशील विटामिन है जो कैल्शियम और फॉस्फोरस का अवशोषण, हड्डियों और दांतों को मज़बूत बनाना, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाना, सूजन कम करना, मांसपेशियों के स्वास्थ्य में सुधार हुए मूड को नियंत्रित करना और डिप्रेशन से बचाने में मदद करता है। इसके दो मुख्य प्रकारों में विटामिन डी2 जो कि प्लांट बेस्ड फ़ूड में पाया जाता है। दूसरा विटामिन डी3 जो सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर त्वचा द्वारा संश्लेषित होता है और पशु उत्पादों में पाया जाता है।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
लगातार थकान और कमज़ोरी
बार-बार बीमारियां और संक्रमण
हड्डी और पीठ दर्द
बालों का झड़ना और बालों का पतला होना
डिप्रेशन या मूड में उतार-चढ़ाव
मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
घाव भरने में देरी
बच्चों में कमज़ोर हड्डियां
विटामिन डी की कमी के कारण
धूप में कम निकलना, खासकर उन लोगों के लिए जो घर के अंदर काम करते हैं या प्रदूषित इलाकों में रहते हैं।
त्वचा का रंग गहरा होना, जिससे प्राकृतिक D3 संश्लेषण कम हो जाता है।
खराब डाइट विटामिन D युक्त फ़ूड की कमी।
मोटापा, जो विटामिन D के अवशोषण को प्रभावित करता है।
किडनी या लिवर की पुरानी बीमारियां , जो विटामिन D की सक्रियता को कम करती हैं।
बुढ़ापा, जिससे त्वचा की D3 संश्लेषण करने की क्षमता कम हो जाती है।
विटामिन D की कमी को कैसे दूर करें
धूप में ज़्यादा समय बिताएं : सुबह 7 से 10 बजे के बीच, चेहरे, हाथों या पैरों पर सनस्क्रीन लगाए बिना 15-30 मिनट धूप में रहने का लक्ष्य रखें। गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को पर्याप्त विटामिन डी बनाने के लिए धूप में ज़्यादा समय बिताना पड़ सकता है।
विटामिन डी से भरपूर फ़ूड खाएं: अपने डेली डाइट में सैल्मन, टूना, सार्डिन जैसी फुल फैट मछलियां , अंडे की जर्दी, सूरज की रोशनी में रखे मशरूम, फोर्टिफाइड दूध, संतरे का रस, अनाज और प्लांट बेस्ड मिल्क और कॉड लिवर ऑयल शामिल करें।
सप्लीमेंट्स लें (केवल डॉक्टर की सलाह से ): यदि स्तर बहुत कम है, तो डॉक्टर तरल, टैबलेट या इंजेक्शन के रूप में विटामिन डी3 सप्लीमेंट्स (कोलेकैल्सिफेरॉल) लेने की सलाह दे सकते हैं। खुराक की मात्रा कमी की गंभीरता और उम्र पर निर्भर करती है।
स्वस्थ वजन और नियमित जांच: मोटापा विटामिन डी की कम जैवउपलब्धता से जुड़ा है। बैलेंस्ड डाइट और नियमित व्यायाम अवशोषण में सुधार कर सकते हैं। अपने 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी के ब्लड लेवल की नियमित रूप से जांच करवाएं खासकर यदि आप ऊपर बताए गए लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं।
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